।। किताबें ।।
।। किताबें ।।
वो आया कुछ किताबें लेकर
कुछ मैंने ली,
कुछ तुमने ली,
कुछ वो अपने संग समेट गया।
कुछ जज़्बात थे
उन किताबों में,
कुछ छिपी हुई कहानियाँ भी थीं,
बेचीं उसने
कुछ ज्ञान बिका।
फैला उजियारा
सब उसकी मेहनत,
फुटपाथ पर ही बेचीं उसने
ख़ुद अनपढ़ रह भी
खुशियां कितनी वो बिखेर गया।
कुछ ने बेची शराब
कुछ का तो सारा ईमान बिका
उसने बेचीं किताबें बस
पहुंचा उजियारा
कुछ ज्ञान बिका।
हर चीज़ जो बेची जाती है
सब पूजा के योग्य न हो,
पर ज्ञान तो है,
जो बांटे कोई
या बेचे उसको
पूजा के ही लायक है।
जिसने लिखी किताब
वो तो बस लिखता है,
पर जो पहुंचाए जन-जन तक
वो भी पूजा के लायक है।
बेंची उसने
तब ज्ञान बिका।
वो आया कुछ किताबें लेकर
कुछ मैंने ली,
कुछ तुमने ली,
कुछ वो अपने संग समेट गया।
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