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Showing posts from November, 2020

।। रात और साज़िश ।।

  ।। रात और साज़िश ।। कभी बहुत देर तक़ ये रात चली आती है धुंधला ही सही तारों का नज़ारा होता है जाते-जाते अक्सर फिर रात की ही बाहों में चमकते जुगनू सा ही गुमां होता है और वो रात ही थी कि जब तुम आये थे रात के आगोश में तेरा होना ही बयाँ होता है लाख सुबह कोशिश करले नशा रात को ही जवां होता है कोई भी साज़िश यूँ मुकम्मल नहीं होती साज़िशों का ख़ाका भी रात को ही जवां होता है अंधेरों को कम मत समझना यारों अंधेरे और रात का याराना भी रात में ही रवां होता है #रात_और_साज़िश #कविता #poem #poetry #authornitin 

।। दलाल ।।

।। दलाल ।। मीडिया दलाल हुआ जाता है, साहब कमाल हुआ जाता है। अजूबे देखे बहुत ज़माने में, अब लोकतंत्र का बुरा हाल हुआ जाता है। कोई बड़ी बात नहीं जो मीडिया बिक जाए, झूठ आंखों देखा हाल हुआ जाता है। मीडिया दलाल हुआ जाता है, साहब कमाल हुआ जाता है। ठंड में बरसाते रहो पानी उनपर, बिछा दो कांटे कितने भी राहों में। खोद डालो सड़कें सारी, तानाशाही कितनी भी करलो। वो झुकने वाले नहीं लेकिन, उनका जस्बा बेमिसाल हुआ जाता है। मीडिया दलाल हुआ जाता है, साहब कमाल हुआ जाता है। रास आती हैं तुमको महलों की रजाई जब, उन्हें सड़क की चारपाई भी भा जाती है। क्या करें सवाल उनके बच्चों का है, ठंड भी बसंत ही सी भाती है। लड़ाई तुम्हें हराने की नही उनकी नज़र में, गैरत की खातिर लड़ना कमाल हुआ जाता है। मीडिया दलाल हुआ जाता है साहब कमाल हुआ जाता है कितनी भी कोशिश कर लो सच को दबाने की, दबता नहीं और उभर आता है। क्या होता जो बात कर लेते, पूछ लेते कि समस्या क्या है। पर तुम्हारा यूँ चुप रहना, कुछ न कहना, यही तो समस्या है, जान लो। उनका फिर भी अपनी बात कहते जाना, और तुम्हारा न सुनना मुहाल हुआ जाता है। मीडिया दलाल हुआ जाता है साहब कमाल हुआ ज...

।। रिवाज़ ।।

  ।। रिवाज़ ।। रिवाज़ों के परिंदे कुछ बेखयाली ने उछाले हैं गमों का तूफ़ान लेकर देखो कबूतर आया है कहाँ-कहाँ नहीं ठूँठा था उनको शाम होने तक़ वो छुपते ही चले गए रिवाज़ों का आसरा लेकर कभी इतनी दुश्मनी मैंने किसी से महसूस नहीं की के जितनी दुश्मनी इन रिवाज़ों ने मुझसे निभाई है ज़माना तो वैसे ही बर्बाद है ऐ दोस्त  इन काफिरों ने ही कुछ आबाद रखा है धर्म को मानने वाले तो रिवाज़ों को मानने वाले निकले इन्ही काफिरों ने ये धर्म आबाद रखा है कभी मैं भी जो फंस जाता इन रिवाज़ों की क़ैद में सवालों को मेरे, मेरे काफ़िर होने ने आबाद रखा है #रिवाज़ #कविता #शायरी #authornitin #poem #poetry 

।। किसान ।।

  ।। किसान ।। किसान की उगाई हुई फसल के दाने मैंने खाये हैं तुमने भी खाए हैं। उसी के सहारे पेट भर-भर कर कुछ उम्र मैंने काटी है कुछ तुमने भी काटी है। क्या कभी,  लेकिन, तुमने या मैंने सोचा कि क्यों वो ख़ुदा भी  इन पर बेरहम होता है? क्यों जो दुनिया भर का  पेट भरता है ख़ुद रह जाता है भूखा? क्यों अपने ही बच्चों को इंसाफ़ दिलाने की खातिर निकलना पड़ता है इन्हें सड़क पर? क्यों कुर्सियों पर बैठे आका रहम नहीं खाते इनपर? क्यों ख़ुदा से लड़ने वाला, जी हाँ, ख़ुदा से लड़ने वाला,  ये शख़्स नहीं लड़ पाता अपनों के आंसुओं से नहीं लड़ पाता और झूल जाता है  झूल जाता है उस रस्सी से जो बताती है कि कितना कमज़ोर है ये समाज अभी भी, झूल जाता है उस रस्सी से  जो बताती है कि कुछ लोग इतना खाते हैं कि रोटी उगाने वाले को अपना निवाला भी उन्हें देना पड़ता है, झूल जाता है  उस रस्सी से जो बताती है कि आकाओं का पेट कभी नहीं भरता, क्यों हैं ये सवाल अभी भी? और कब तक़ रहेंगे? #किसान #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। हवाएँ लहराने लगीं ।।

  ।। हवाएँ लहराने लगीं।। जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं बहुत ज़माने बीत गए हवाओं ने लहराना छोड़ा था पर जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं उदास थी हवाएँ उनके बिन, गए उनको ज़माने बीते थे पर जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं मस्त ऐसे चलीं फिर कि महक़ उठा शहर सारा जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं रातें मदमस्त हो चलीं और फ़िज़ा का भी रंग बदल गया जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं बादल बरसने को तैयार हो गए बिजलियाँ कड़कने लगीं झुमके जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं सूखी ज़मीन मुस्कुराने लगी भीनी खुशबू ने उसे जो घेर लिया बस वो आये और हवाएँ लहराने लगीं बहुत बरसों से उदास था सब कुछ जैसे उजड़ी हो बस्तियाँ पर जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं और लहराईं ऐसे कि चमन फिर से महक़ उठा जब वो आये  हवाएँ लहराने लगीं #हवाएँ_लहराने_लगीं #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। कलम ।।

।। कलम ।। कलम की आरज़ू इतनी है कि वो लिखती जाए स्याही काली ही सही पर चलती जाए और आये कई राजे, महाराजे, नवाब और सुल्तान और आते भी रहेंगे बहुत राज करने वाले किसी राजे महाराजे की नहीँ पर ख़ुदा की इबादत में कलम की आरज़ू इतनी है कि वो लिखती जाए लिखती जाए कि लिखी गईं थीं इबारतें बहुत राजे, महाराजे और सुल्तानों की शान में पर सब के सब दफ़्न हैं आज कब्रगाहों में किसी का नाम नहीं है कोई लेने वाला कब तक़ लेता है कोई नाम वैसे भी ज़माने में मतलबी ज़माने से नाम यूँ ही रिस्ता जाए छलनी में पानी नहीं टिकता जैसे, रिस जाता है मतलबी ज़माने से नाम यूँ ही रिस्ता जाए और इसीलिए किसी राजे महाराजे की नहीँ पर ख़ुदा की इबादत में कलम की आरज़ू इतनी है कि वो लिखती जाए #कलम #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। किताबें ।।

  ।। किताबें ।। वो आया कुछ किताबें लेकर कुछ मैंने ली, कुछ तुमने ली, कुछ वो अपने संग समेट गया। कुछ जज़्बात थे उन किताबों में, कुछ छिपी हुई कहानियाँ भी थीं, बेचीं उसने कुछ ज्ञान बिका। फैला उजियारा सब उसकी मेहनत, फुटपाथ पर ही बेचीं उसने ख़ुद अनपढ़ रह भी खुशियां कितनी वो बिखेर गया। कुछ ने बेची शराब कुछ का तो सारा ईमान बिका उसने बेचीं किताबें बस पहुंचा उजियारा कुछ ज्ञान बिका। हर चीज़ जो बेची जाती है सब पूजा के योग्य न हो, पर ज्ञान तो है, जो बांटे कोई या बेचे उसको पूजा के ही लायक है। जिसने लिखी किताब वो तो बस लिखता है, पर जो पहुंचाए जन-जन तक वो भी पूजा के लायक है। बेंची उसने तब ज्ञान बिका। वो आया कुछ किताबें लेकर कुछ मैंने ली, कुछ तुमने ली, कुछ वो अपने संग समेट गया। #किताबें #कविता #poem #poetry #authornitin 

।। A Surprise ।।

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  ।। A Surprise ।। A surprise For me It's a surprise The Tortoise and Rabbit story An inserted competition A human made competition That's why It's a surprise For me Do you think there can be a competition? Do you think there can be a race between a tortoise and a rabbit? No it's not possible…. There can't be any race between a tortoise and a rabbit. That's why It's a surprise For me I was watching a TV channel some days ago. That was showing a race between a tortoise and a rabbit. People were shouting, Some were encouraging the Tortoise And some were encouraging the Rabbit. The Tortoise was walking continuously and steadily according to its nature. But the Rabbit jumps and then sits-down for some time. Jumps again and sits-down for some time. Because it's the nature of Rabbit to search for food in this manner. It can be watched.  A rabbit can be watched to make arrangements for food in this manner in a jungle. And that's why the Rabbit was behaving ...

।। पहलू ।।

  ।। पहलू ।। रात कभी सिर्फ एक पहलू लेकर नहीं आती सिक्के का कभी सिर्फ एक पहलू नहीं होता तो क्यों ये दुनिया चाहती है कि देखा जाए जो दिखाया जाए, वही सिर्फ एक पहलू राजा की बात तो समझ में आती है कि वो चाहता है कि सब वही देखें वही देखें जो वो दिखाना चाहे  दिखाना चाहे, वही सिर्फ एक पहलू राजा को चाहिए सत्ता, चाहिए कि वो राज करे मुमकिन है ये तभी जब सब देखें, वही सिर्फ एक पहलू पर राजा का स्वार्थ तो समझ आता है पर ये दुनिया के लोग क्यों दिखाना चाहते हैं क्यों दिखाना चाहते हैं वही सिर्फ एक पहलू क्योंकि सबको पसंद आता है  उसका खुद का नज़रिया सबको भाता है अपना चुना हुआ नज़रिया इसलिए चाहता है कि बाकी लोग भी देखें कि बाक़ी लोग भी देखें वही सिर्फ एक पहलू वही सिर्फ एक पहलू जो उसको भाता है इसलिए चाहता है कि औरों को भी भाये वही सिर्फ एक पहलू इसलिए चाहता है कि औरों को भी भाये वही सिर्फ एक पहलू #पहलू #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। फ़ितूर ।।

  ।। फ़ितूर ।। ख़फ़ा रहने का ये आपका फ़ितूर अच्छा है बहुत दूर न हो जाना इस फ़ितूर के चलते राह में आये हुए को ठुकराने का फ़ितूर अच्छा है बहुत आरज़ू लेकर वो आये थे वो आये थे आपके क़रीब पहचानने से मुक़र जाने का ये आपका फ़ितूर अच्छा है आप अकेले हैं आज तो कोई बात नहीं ख़ुद को आपने ही ने तो तन्हा किया है यूँ तन्हाई में वक़्त गुज़ारने का ये आपका फ़ितूर अच्छा है कल अगर कोई न आया आपकी मय्यत पर कौन सा आप देख पाएंगे यूँ सबको ठेंगा दिखाने का ये आपका फ़ितूर अच्छा है लोग भी आपको भूल जाएंगे आपके बाद तो क्या हुआ जो याद भी रह गए यादों में याद न आने का ये आपका  फ़ितूर अच्छा है #फ़ितूर #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। वक़्त ।।

  ।। वक़्त ।। वक़्त की दहलीज नहीं होती ये चलता रहता है अकेला, निरंतर, अनवरत। फिर भी रहता है ताकतवर। इतना कि झुकना होता है सबको इसके सामने, फिर वो राजा हो या रंक। सबको देखा है इसने आते-जाते देखी है सबकी चाल कि कौन, कब, कहाँ लड़खड़ाया और कौन, कब, कहाँ संभला। वो वक़्त ही था जो कहना चाहता था, कहना चाहता था तुझसे कि संभल, संभल अभी नहीं तो गिर जाएगा क्योंकि देखा था इसने बहुतों को गिरते हुए। वो वक़्त ही था तुझे ताक़ीद करना चाहता था पर तुझे तो अपने पर गुमान था तू चलता रहा उसी रास्ते खो दिया संभलने का वो आखिरी मौका भी। पर इंसान तो ऐसा ही होता है कभी-कभी सीख भी लेता है और कभी-कभी भटकता रहता है भटकता रहता है पूरी ज़िंदगी। और वक़्त हिदायतें देता रहता है समझाता रहता है अपने तऱीके से कभी ठोकर देकर तो कभी इन्तेहान लेकर और झुकता ही है इंसान वक़्त के सामने। क्योंकि वक़्त की दहलीज नहीं होती ये चलता रहता है अकेला, निरंतर, अनवरत। फिर भी रहता है ताकतवर। इतना कि झुकना होता है सबको इसके सामने, फिर वो राजा हो या रंक। #वक़्त #कविता #authornitin #poem #poetry 

।। हार मान के बैठा था ।।

  ।। हार मान के बैठा था ।। छुप जाना था अंधकार में सब कुछ और मैं हार मान के बैठा था। अंधकार सब ढक लेता तब मैं हार मान के बैठा था। अग्नि धूँ-धूँ कर जलती थी और मैं हार मान के बैठा था। कैसा वो काला साया उभरा तब मैं हार मान के बैठा था। उठा लहराया रात में काला साया तब मैं  हार मान के बैठा था। पर वो मेरा कल था जब मैं हार मान के बैठा था। पर आया वो उजियारा बन कर जब मैं हार मान के बैठा था। यूँ ही उसने समझाया मुझको कि मैं व्यर्थ ही हार मान के बैठा था। उससे मिलने पर आभास हुआ कि मैं व्यर्थ ही हार मान के बैठा था। जीवन चलते रहने का नाम बने  फिर कष्ट मिले या आराम मिले रुक जाना जल को भी मंज़ूर नहीं फिर कितनी भी कठिन राह मिले और मैं चल सकता था पर फिर भी मैं हार मान के बैठा था। अब सोच रहा कि गलत किया जो मैं हार मान के बैठा था। पर अब उठना है फिर चलना है अब और नहीं सुनना मुझको कि मैं हार मान के बैठा था। अब और नहीं सुनना मुझको कि मैं हार मान के बैठा था। #हार_मान_के_बैठा_था #कविता #authornitin #poem #poetry