।। बेतरतीब सी ज़िन्दगी ।।
।। बेतरतीब सी ज़िन्दगी ।।
बड़ी बेतरतीब सी बीती जाए है ज़िन्दगी
कभी हंसाये तो कभी रुलाए है ज़िन्दगी
आज अपने-2 घरों पर ही बैठें है दोस्त सारे
बस अकेले ही बीती जाए है ज़िन्दगी
और याद करता हूँ उन दिनों को
जब बैठते थे साथ मिल कर
अभी तो तन्हा बीती जाए है ज़िन्दगी
कैसे कहाँ कब कौन याद करता है हमें
अब तो बस यही ग़म दिए जाये है ज़िन्दगी
कुछ लम्हे यूँ ही बातों में कट जाते हैं
वरना लम्हा-2 रुलाए है ज़िन्दगी
बड़ी बेतरतीब सी बीती जाए है ज़िन्दगी
कभी हंसाये तो कभी रुलाए है ज़िन्दगी
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