।। दरिया ।।
।। दरिया ।।
ये दरिया है कुछ और नही है
ये दृष्टा है कुछ और नहीं है
समेटे हुए है रास्ते अपने भीतर
वो रास्ते जिनसे कभी गुजरा होगा
या वो रास्ते जिनसे कभी गुजरना होगा
ये दृष्टा है कुछ और नहीं है
इसे पता है बहने में जो मज़ा है रुकने में नहीं है
रास्ते तो खुद ही बन जाते हैं इसे पता है
अनवरत चलने का मज़ा पता है इसे
ये दरिया है कुछ और नहीं है
छलकना तरंगित होना पता है इसे
पत्थरों से टकरा भी संगीत बनना पता है इसे
सूरज की किरणों से इंद्रधनुष होना पता है इसे
ये दरिया है कुछ और नहीं है
चाँद को अलंकृत करना पता है इसे
ये दृष्टा है कुछ और नहीं है
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