।। वक़्त का दरवाज़ा ।।

 ।। वक़्त का दरवाज़ा ।।


वक़्त के दरवाज़े संकरे हैं

और दहलीज़ चौड़ी है।


पर इसी संकरे दरवाज़े 

और चौड़ी दहलीज़ के बीच

मैंने एक नाम लिखा है।


जो भी आएगा या गुज़रेगा

इस दरवाज़े के बीच से

वो देखेगा इस नाम को।


देखेगा कि वक़्त के 

इस दरवाज़े से बहुत

नाम गुज़रे।


पर एक नाम लिख

गया इस दरवाज़े के ऊपर।


संकरे दरवाज़ों से भले ही

गुज़रना मुश्किल होता हो।


भले ही मुश्किल होता हो

चौड़ी दहलीजें लांघना।


पर कुछ लोग न सिर्फ

गुज़रते हैं और लांघते हैं

बल्कि अपना नाम भी 

अमिट छोड़ जाते हैं।


छोड़ जाते हैं लिखा हुआ

उसी संकरे दरवाज़े के ऊपर।


दिखा देते हैं कि ये नाम

कभी मिट न सका

क्योंकि इसने हिम्मत दिखाई।


इसने हिम्मत दिखाई 

और फांद गया ये चौड़ी

दहलीज़ों को।


और लिख गया अपना

नाम कभी न मिटने देने के लिए।


होते हैं ऐसे कुछ सरफिरे

जो आते हैं पर कभी नहीं जाते।


कभी नहीं जाते समय के उस पार

समय उन्हें रहने देता है अमिट।


इसीलिए समय के इस संकरे

दरवाज़े पर मैंने एक नाम लिखा है।


थोड़ा करीब और करीब जाकर

देखा तो नाम मेरा ही है।

हाँ मेरा ही है।


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