।। चमकते चेहरे ।।

 ।। चमकते चेहरे ।।


चमकते चेहरे 

फिसलती निगाहों से 

डरते हैं।

सोचते हैं

कि निगाहें

कहीं और न जाएं,

टिक जाएं

बस उन्ही पर।

बस टिक जाएं

चमकते चेहरे पर।


चमकते चेहरे

चाहते हैं

गुलाम निगाहें।

ऐसी निगाहें

जो बस उन्हीं पर

टिकी रहें।


इसीलिए

चमकते चेहरे

होते हैं

तानाशाह।

चाहते हैं

गुलाम।

ऐसे गुलाम

जो घूमते रहें

उनके चारों तरफ।

ऐसे गुलाम

जो माने 

उनकी हर बात।


चमकते चेहरे

स्त्री या पुरुष

नहीं होते।

होते हैं

थोड़े अतरंगी

कभी बेइंतहा खुशी

तो कभी ग़म

समेटे हुए।


चमकते चेहरे

कभी-कभी

होते हैं

थोड़े मजबूर।

मजबूर 

कुछ छुपाने को

शायद कभी ग़म,

तो कभी तन्हाई,

तो कभी नियत।


लेकिन

चमकते चेहरे

भी होते हैं

हमारे और आपके ही जैसे।

होते हैं

हममे से ही 

कोई एक

कुछ तलाश

लिए हुए।

कभी अपने

तो कभी 

अपने अस्तित्व की।

तलाश अपने संसार की

या फिर 

अपनी शोर में

तन्हाई की।


लेकिन

इन सबके बीच भी

चमकते चेहरे 

फिसलती निगाहों से 

डरते हैं।


#authornitin #poem #poetry #चमकते_चेहरे #कविता #hindikavita #shayari 


Comments

Popular posts from this blog

Importance of communication

An excerpt

Views of Napoleon Hill about Mahatma Gandhi