।। देखना महकते फूलों को ।।
।। देखना महकते फूलों को ।।
किसी के किरदार में
महकते फूलों को देखना कभी।
तुम भी उनकी महक के साथ
खिल उठोगे।
खिल उठोगे
जैसे कोई कली खिलती है।
बिखेरना सुनहरे रंग
एक कला है,
महकाना अपनी खुशबू से
इस जहाँ को
एक कला है।
मगर कैसे कोई महका
पाता है इस सुंदर जहाँ को?
कैसे फूलों में खुशबू भर जाती है।
ये जादू है
सृजन का।
फूल खिलते हैं सृजन के लिए
और सृजन उन्हें भर देता है कुछ नए से।
सृजन भर देता है
उन्हें खुशबू से।
सृजन भर देता है
उन्हें मोहकता से।
ठीक उसी तरह
जैसे ही तुम देखते हो
उस फूल को
तुम भी प्रफुल्लित हो उठते हो,
तुम महक उठते हो उन्ही फूलों की तरह।
तुम हो जाते हो एकाकार
उन्हीं फूलों की खूबसूरती के साथ।
ठीक उसी तरह
जब तुम देखते हो
किसी के किरदार में
खूबसूरती को,
तुम हो जाते हो एकाकार,
एकाकार
उसी खूबसूरती के साथ।
इसीलिए,
किसी के किरदार में
महकते फूलों को देखना कभी
तुम भी उनकी महक के साथ
खिल उठोगे।
खिल उठोगे
जैसे कोई कली खिलती है।
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