।। मुकम्मल ।।
।। मुकम्मल ।।
कभी मोहब्बत के सहारे मुकम्मल हो जाऊं शायद
तेरी खुशी में अपनी खुशी रखता हूँ
ज़माना चाँद पर जा पंहुचा होगा मगर
मैं तो तुझमें ही अपनी सारी ज़मीं रखता हूँ
तू रहबर है मेरा और तुझे ये इल्म भी नहीं
कि इबादत में तेरी सारी उमर रखता हूँ
तू कह भर देना कभी जान देने के लिए
तुझे सीने में बसा के मर जाने का हुनर रखता हूँ
और जो तू हँस दे तो मुकम्मल ये जहाँ हो जाये
ज़फ़र होने को ये उम्मीद-ए-नज़र रखता हूँ
ज़माना कुछ भी कहे मैं मोहताज़ नहीं ज़माने का
हो जाये मुकम्मल ये इश्क़ मैं वो जिगर रखता हूँ
#authornitin #poem #poetry #mukammal #मुकम्मल #हिंदी #hindi #hindipoetry #kavita #shayari
Comments
Post a Comment