।। नशा ।।
।। नशा ।।
नशे को छोड़ने की खातिर भी नशा करते रहे हम
कुछ इस तरह बस जीने के लिए मरते रहे हम
बदस्तूर फ़ुरसत के साथ वो मिला करे थे हमसे
मगर दूर रहकर भी बस उनसे ही मिलते रहे हम
कहने को वो गले हमसे ही मिला करते थे
और राज़ गले मिलकर बस देते रहे हम
हर अंदाज़ में कुछ न कुछ मतलब रहता था उनका
और इश्क़ में डूब कर बस मिटते रहे हम
राज़ ये है कि अब उनको कोई मतलब नहीं हमसे
बस इसी ग़म में ये नशा करते रहे हम
नशे को छोड़ने की खातिर भी नशा करते रहे हम
कुछ इस तरह बस जीने के लिए मरते रहे हम
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