।। ये रात ने चांदनी ओढ़ी कैसे ।।
।। ये रात ने चांदनी ओढ़ी कैसे ।।
ये रात ने चांदनी ओढ़ी कैसे
कैसे ये सितारे आज चमकने लगे
क्यों ये शख्स मशहूर हुआ
क्यों उसके दांत यूँ दमकने लगे
खुजली इसी बात की होती है लोगों को
क्यों कोई उनसे आगे निकलने लगे
और दौर वो भी था कभी
मेरे दोस्त मुझे पसंद करते थे
और एक दौर ये भी है
उन्हें लगता है मेरे पंख अब निकलने लगे
उड़ न लूँ कहीं उनसे ऊंची उड़ान
ये सोच उनके रंग उतरने लगे
ऐसी ही है ये दुनिया
क्यों फिक्र करूँ मैं इसकी
आखिर फिक्र छोड़ दी मैंने दुनिया की
तबसे मेरे भाग्य और ज़्यादा निखरने लगे
आखिर फिक्र छोड़ दी मैंने दुनिया की
तबसे मेरे भाग्य और ज़्यादा निखरने लगे
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