।। सवाल ।।
।। सवाल ।।
रात में जला दो
कुछ तो सवालात हैं
दब जाएंगे
फिर न उभरेंगे
खोल के रख देते
राज़ सारे
पर अब
दब जाएंगे
फिर न उभरेंगे
जवाब का इंतज़ार
जो करते लोग
अब सहम जाएंगे
फिर न उभरेंगे
कहाँ से आएंगे सवाल अब
बढ़ा दो इतने सवाल
के बिखर जायें लोग
जो बिखर गए तो
फिर न उभरेंगे
और खोखले होते
सवालों को
खोखला कर दो और
जो हो गए खोखले तो
फिर न उभरेंगे
खड़े कर दो कुछ लोग
इन सवालों के विरोध में भी
जो लोग विरोधी हुए
तो ये सवाल
फिर न उभरेंगे
यूँ ही बयां हो जाते हैं
कुछ सवाल
इन कविताओं में
जो शांत हो गई कविताएं तो
फिर न उभरेंगे
रात में जला दो
कुछ तो सवालात हैं
दब जाएंगे
फिर न उभरेंगे
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