।। बेपरवाही ।।

 ।। बेपरवाही ।।




वो जो कहीं से 

बेपरवाही आयी थी कभी


उसे संभाल के रखना 

खोना नहीं कभी


बड़ी मुश्किल से आती है

ये बेपरवाही


कभी-कभी बहुत कुछ 

बहुत कुछ खोने के बाद


परवाह ही करता रहता है

पूरी ज़िन्दगी इंसान


कभी समाज की, कभी इसकी

तो कभी उसकी, कभी उन चार लोगों की


उन चार लोगों की, जिनसे वो शायद 

मिलता ही नहीं कभी, पूरी ज़िन्दगी


पूरी ज़िन्दगी बस परवाह करता रहता है

चार लोग क्या कहेंगे


खो देता है अपनी आजादी

उन चार लोगों की परवाह में


तो अगर बेपरवाही आयी 

तो खुशकिस्मत हो, आई तो सही


और खासकर के गर औरत हो तुम

और बेपरवाही आई तो आने दो


क्योंकि कट जाती है ज़िन्दगी 

दूसरों की परवाह करते-करते


इसलिए वो जो कहीं से 

बेपरवाही आयी थी कभी


उसे संभाल के रखना 

खोना नहीं कभी


वो चार लोग कभी नहीं मिलते

मिलते भी हैं तो उनकी परवाह न करना


क्योंकि वो चार लोग होते हैं दमनकारी

वो चार लोग होते हैं ठेकेदार


होते हैं ठेकेदार समाज के

वो चाहते हैं अपना वर्चस्व


इसलिए समझना तुम्हें ही है

कि क्या चाहिए, उनका वर्चस्व या स्वतंत्रता


स्वतंत्रता जीवन की, स्वतंत्रता खुश रहने की

तो भूल जाओ उन चार लोगों को


भूल जाओ और जियो वैसे जैसे जीना चाहते हो

मत बनने दो अपने विचारों को किसी का ग़ुलाम


इसलिए वो जो कहीं से 

बेपरवाही आयी थी कभी


उसे संभाल के रखना 

खोना नहीं कभी


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