।। चाँद का साया ।।
।। चाँद का साया ।।
कहीं से खूबसूरत शाम देख ली मैंने
डूब के उतराया था, चाँद का साया
वही पर तुम भी आये थे
गहराया और, चांद का साया
वो इश्क़ था शायद तुम्हारे नाम का
कि जो उतराया था, चाँद का साया
के ज़ख्मी दिल न होता तो क्या होता फिर
के देख के तुमको लहराया था, चाँद का साया
मैं भी डूब जाता फिर उसी साये की बाहों में
क्या खूब तुमने भी दिखलाया था, चाँद का साया
तुम जो साथ न होते उस शाम
तो याद भी न करता मैं, वो चाँद का साया
कहीं से खूबसूरत शाम देख ली मैंने
डूब के उतराया था, चाँद का साया
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