।। लिख देना ।।


 ।। लिख देना ।।



सूरज ढलने को आये

शाम जो कुछ इतराए

तो कुछ लिख देना


लिख देना 

कि आयी थी तेरी याद

उस शाम भी 

और सूरज के ढलते ही

चाँद निकल आया था


लिख देना 

कि शाम महकी थी

उसे भी याद तेरी आई थी

कुछ गीत यूँ ही लिख देना

कुछ छंद यूँ ही लिख देना


लिख देना जल्दी से

कि सूख न जाये स्याही

कि स्याही चुराई थी तुमने

चुराई थी आसमान के ही रंगों से

शाम ढल जाए न कहीं

ढलने से पहले लिख देना


लिख देना

कि उदास थे उसके बिन

कि बैठे थे तन्हा उस शाम

कि कुछ कहने को नहीं था

उदासी इतनी गहरी थी


लिख देना

कि फिर भी

उस उदासी में

कुछ उभरा और ढल गया

ढल गया गीतों में


लिख देना

फिर एक गीत

जो उभरा तुम्हारे अंतर्मन से


फिर रात जो करवट ले

चाँद उभरने को आये

तो कुछ लिख देना


सूरज ढलने को आये

शाम जो कुछ इतराए

तो कुछ लिख देना


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