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Showing posts from May, 2020

।। न बस न ट्रेन ।।

।। न बस न ट्रेन ।। एक बार, वो चल पड़ा था। गांव से दूर, शहर की तरफ़, अपनी मंज़िल की तलाश में। चला आया शहर  तलाशने अपने अस्तित्व को। चला आया शहर, गांव को लपेटे, अपने गमछे के अंदर। चला आया शहर, गांव को अपनी भाषा में समेटे। सोचा था स्वीकारेगा शहर इस गांव के बाशिंदे को। सोचा था देगा शहर पेट भरने को रोटी। सोचा था संवरेगा बच्चों का भविष्य। आंखों में छलकती थीं आशा की किरणें। बेहद खुश था जब पहुंचा शहर को। खुश हुआ जब मिला रोज़गार। लगा उसे कि अब संवर जाएगा उसका घर संसार। आया वो दिन, जिस दिन मिलनी थी उसे पहली पगार। धीरे-धीरे सीख गया भाषा शहर की। गांव जाता तो बताता शहर के ठाट-बाट। दिखाता रुआब जैसे राजा हो  शहर का। हाँ लगती थी कम उसको अपनी पगार। फिर भी खुश था कि चल जाता था उसका भी घर संसार। लेकिन एक बार उसे चलना पड़ा। पीछे वापस अपने गांव की तरफ। क्योंकि विपदा थी भारी। शहर अब  नहीं दे पा रहा था। न रोटी  न मकान। इस बार चलना पड़ा उसे वापस अपने पैरों के सहा...

।। इतिहास ।।

।। इतिहास ।। इतिहास को इतिहास में गाड़ दो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। और वर्तमान को वर्तमान से संवार लो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। ये जो हमेशा पीछे मुड़ कर देखते रहते हो, आज कोई ज़िंदा नहीं उनमें से,  कोई जो आकर संवार जाए तुम्हारा भविष्य। वो चले गए अब नहीं है न ही वापस आएंगे कभी। किया होगा कभी तुम्हारा नुकसान या तुम्हारा फ़ायदा लेकिन अब नहीं आएंगे कभी। फिर क्यों करते हो ख़राब अपना भविष्य और वर्तमान चंद इतिहास के पन्नों के लिए। मानता हूं इतिहास जानना भी  ज़रूरी होता है। लेकिन ज़रूरी होता है इसलिए कि इतिहास से सबक लिया जाए। ज़रूरी होता है इसलिए कि कुछ सीखा जाए। इसलिये नहीं कि नफ़रतें फैलाई जाए इसलिए नहीं कि लोगों को भड़काया जाए। क्योंकि,  वो लोग इतिहास हो गए जिन्होंने किया था कभी तुम्हारी ख़िलाफ़त। इसलिये इतिहास को इतिहास हो जाने दो। इसलिये इतिहास को इतिहास में गाड़ दो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। और वर्तमान को वर्तमान से संवार लो...

।। विवाद ।।

।। विवाद ।। अब विवाद नहीं हुआ करते खासकर राजनीतिक विवाद सब का फंडा एकदम क्लियर है अब विवाद नहीं हुआ करते वो मुस्लिम है इसलिए उसे पता है कि उसे किसको वोट देना है अब विवाद नहीं हुआ करते वो हिन्दू है इसलिए उसे भी पता है कौन है उसका नेता ठेंगे में गया विकास उसे पता है कि रोटी न मिले कोई बात नहीं लेकिन उसे जिताना है अपने नेताजी को अब विवाद नहीं हुआ करते खासकर राजनीतिक विवाद स्टैम्प लगे है नेताओं पर, जैसे हिंदुओं के नेता दलितों के नेता मुस्लिमों के नेता वगैरह-वगैरह अब विवाद नहीं हुआ करते विवाद करने के लिए सोचना पड़ेगा तर्क़ देने होंगे कौन उठाये इतनी ज़हमत छोड़ो दे देते हैं उसी को वोट जो अपनी बिरादरी वाले बोलते हैं अब विवाद नहीं हुआ करते ख़ासकर राजनीतिक विवाद आंख बंद करके लोग करते हैं समर्थन अपने प्यारे नेताजी का कोई बताए अगर कमियां तो उड़ेल देते हैं थोड़ी सी गालियां विवाद का कोई मौका ही नहीं इसलिये अब विवाद नहीं हुआ करते खासकर राजनीतिक विवाद अपने नेताजी को मानते हैं फूलप्रूफ जो गलती कर ही नहीं सकता इसलिये अब वि...

।। ऐसे ही मत चले जाना ।।

।। ऐसे ही मत चले जाना ।। ऐसे ही मत चले जाना रोते हुए और मरते हुए ऐसे ही मत चले जाना  अपने घर देख लेना अपने ज़ख्मों को ऐसे ही मत चले जाना ध्यान से निहारना बार-बार अपने ज़ख्मों को याद रखना उन्हें  जिसने दिया तुम्हें ये उपहार ऐसे ही मत चले जाना  अपने घर याददाश्त में बरकरार रखना ये मंज़र ताकि जब वोट देने जाओ तो याद आएं ये ज़ख्म याद रखना कि तुम भी ताकतवर हो ऐसे ही मत चले जाना  अपने घर ऐसे ही मत चले जाना अपने घर #ऐसे_ही_मत_चले_जाना #authornitin #poem #poetry 

।। जो लिखते हैं दो टूक ।।

।। जो लिखते हैं दो टूक ।। सरकारें काग़ज़ पर चला करती हैं कुछ लोग ज़िंदा हो जाते हैं काग़ज़ों पर और कुछ लोग मर जाते हैं इन्हीं काग़ज़ों में महल भी बन जाते हैं काग़ज़ों के सहारे और कश्तियाँ भी काग़ज़ों की चला करती हैं बड़ी अहमियत रखते हैं  ये काग़ज़ सरकारी दफ्तरों में जनाब के बिल्डिंगे काग़ज़ पर बना करती हैं तो कभी जल जाते हैं ये कागज़ किसी की चोरी छुपाते-छुपाते कभी इन्हीं कागज़ों पर लिखा जाता था इंक़लाब अब तो कागज़ गुलाम हुए जाते हैं एक दिन एक कागज़ अचानक मुझसे बोल पड़ा कि तू छोड़ ये सब लिखना बड़ा क्रांतिकारी समझता है अपने आपको लिख वो जो लोगों को पसंद आये लिख वो जिससे मैं उस काग़ज़ में बदल जाऊं जिसपर हो बापू की तस्वीर छोड़ ये सब लिखना लेकिन मुझे उसकी बात रास न आई कैसे लिखूं सिर्फ दूसरों को खुश करने को अपने आप को कैसे दूंगा जवाब मैं कागज़ से बोला कि तुझे अपनी अहमियत नहीं पता तेरी अहमियत सिर्फ उन चंद लोगों के कारण ही है जो लिखते हैं सच जो लिखते हैं वो जो लिखा जाना चाहिये जो लिखते हैं दो टूक #जो_लिखते_हैं_दो_टूक #authornitin #poem #poetry 

।। स्याही ।।

।। स्याही ।। कभी तो पंहुचेगी ये आग तुम तक भी  जो लगाई है तुमने कभी तो उसका फ़ैसला मेरे हक़ में आएगा और जले हैं जितने भी मकान इस आग में धुँआ तो एक न एक दिन तेरे घर से भी आएगा आएगा तू भी एक दिन ज़द में इसी आग के के पैगाम मेरा ज़रूर उस रब तक़ जाएगा तूने सोचा था कि भाग जाएगा तू आग लगाकर पर ऐसा नहीं होता, तेरा किया एक दिन तुझे याद आएगा उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती तूने अगर तड़पाया है तो तुझे वो भी एक दिन तड़पायेगा ये बात आंखों देखी है मेरी  कि लिखता रहता है वो  तेरी और मेरी किस्मत कलम उसकी ज़रूर होती है लेकिन स्याही तो तू ही लेके जाएगा लेकिन स्याही तो तू ही लेके जाएगा #स्याही #authornitin #poem #poetry 

।। बेतरतीब सी ज़िन्दगी ।।

।। बेतरतीब सी ज़िन्दगी ।। बड़ी बेतरतीब सी बीती जाए है ज़िन्दगी कभी हंसाये तो कभी रुलाए है ज़िन्दगी आज अपने-2 घरों पर ही बैठें है दोस्त सारे बस अकेले ही बीती जाए है ज़िन्दगी और याद करता हूँ उन दिनों को जब बैठते थे साथ मिल कर अभी तो तन्हा बीती जाए है ज़िन्दगी कैसे कहाँ कब कौन याद करता है हमें अब तो बस यही ग़म दिए जाये है ज़िन्दगी कुछ लम्हे यूँ ही बातों में कट जाते हैं वरना लम्हा-2 रुलाए है ज़िन्दगी बड़ी बेतरतीब सी बीती जाए है ज़िन्दगी कभी हंसाये तो कभी रुलाए है ज़िन्दगी #बेतरतीब #authornitin #poem #poetry 

।। चलो कुछ जाग जाएं ।।

।। चलो कुछ जाग जाएं ।। अभी भी वक़्त है कुछ बिगड़ा नहीं है अभी भी चलो कुछ जाग जाएं अगर सोते रहे अभी भी तो हो सकता है कि कभी संभला ना जाये इसलिए चलो कुछ जाग जाएं बहुत हो चुकी देर जागने में हो गई दोपहर चलो कुछ जाग जाएं यूँ ही चलता रहा अगर, सफ़र ख़त्म हो जाएगा बिना जागे ही इसलिए चलो कुछ जाग जाएं तुम जागे तभी दूसरों को भी जगा पाओगे सोते रहे अगर तो कभी संभल न पाओगे इसलिए चलो कुछ जाग जाएं रास आता है बड़ा सोते रहना  बस सोते ही चले जाना पर अब वक़्त है कि चलो कुछ जाग जाएं #चलो_कुछ_जाग_जाएं #authornitin #poem #poetry 

।। मामूली ।।

।। मामूली ।। क्या हुआ जो मर गया वो। कौन? अरे वो मज़दूर ही तो था क्या हुआ रोज़ ही  मरा करते हैं। कहाँ कोई नई बात हुई मरते रहते हैं कभी भूक से कभी थक कर रेलवे की पटरी पर सोये ही क्यों? कैसी मूर्खता है? मेरे मित्र प्रोफेसर मुझसे बोल रहे थे पूछ रहे थे बोले फालतू परेशान होते हो इनका जीना क्या और मरना क्या ये तो जीते भी मर-2 के ही हैं अभी ख़बर छपी लोग एक दिन सोचेंगे कल भूल जाएंगे क्या हुआ  जो  मर गया वो मज़दूर मामूली बेहद मामूली था कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं था मामूली  बेहद मामूली था। बिल्डिंगे बनाई होंगी बनाई होगी सड़कें उगाई होगी रोटियां चलाए होंगे कारखाने तो क्या हुआ वो मामूली  बेहद मामूली था। क्योंकि मिल जाता है हर जगह आसानी से सस्ते में मामूली सी रक़म के बदले या सिर्फ दो रोटियों के बदले महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं वो मामूली बेहद मामूली था। #मामूली #authornitin #poem #poetry