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Showing posts from 2021

।। ज़र्रा-ज़र्रा ।।

  ।। ज़र्रा-ज़र्रा ।। ज़र्रा-२ है पुकारे नाम तेरा ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है बादल आसमां बारिश सब में तू छुपा है ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है रोशनी अंधेरा हर जगह ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है बेहद मगरूर हैं ये लोग सारे संगेमरमर में समेटा है तुझको ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है और बेहद ज़रूरी नहीं कि तू मिल जाये मुझे या किसी और को सहूलियत से तू ये सारा धमाल करता है नाचता है कभी मोर बन कर ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है कमज़ोर से मज़बूत को भी हराता है कभी-२ ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है #authornitin #poem #poetry 

।। क़त्ल ।।

  ।। क़त्ल ।। इसे क़त्ल मत कहिये जनाब के क़ातिल फ़रार है डर कैसा क़त्ल करने में जब अपनी ही सरकार है और हक़ दे पाएंगे नही ये लोग इनका ज़मीर अब और बीमार है नफ़रतें रग-रग में पाले बैठा ये समाज जाहिलों का बढ़ता हुआ एक बाज़ार है रुको मत लेकिन लड़ते रहो वो उतना ही डरपोक है जितना दलाल है रग-रग में खून भरा है उनके और आज खून में उबाल ही उबाल है #authornitin #poem #poetry

।। धुँआ ।।

  ।। धुआँ ।। धुआँ सब जगह दिख रहा है ये आग किसने लगाई है देश की बात करने को  ये धुनी किसने रमाई है ज़मीं के कर्ज़ बहुत हैं उनपर ये फसल बस इसलिए ही उगाई है वो अपना हक़ मांगने क्या आये किरकिरी आँख में उनके आई है ज़मीनो के झगड़े बहुत हैं पर ज़मीं के भाग में सदा रुसवाई है वो सरकार बना कर करतब दिखाए जाते हैं उनकी फितरत में ही सर्कस समाई है किसी के घर का चराग बुझा कर मुआवज़े की याद उन्हें आयी है गज़ब है न्याय देने की समझ उनकी आग लगाने वाले से ही अब सुनवाई है

।। मत पूछिए ।।

  ।। मत पूछिए ।। मत पूछिए कुछ भी, कि राज़ बस राज़ हैं सारे वो छुप-छुप के सभी कुछ यूँ ही कर जाते हैं, कैसे?  मत पूछिए, कि राज़ बस राज़ हैं सारे कि गिरगिट भी समझते हैं खेल यूँ ही छुप जाने का राज़ को  राज़ रखने का पर कैसे? मत पूछिए, कि राज  बस राज़  हैं सारे #authornitin #poem #poetry 

।। ये जो सजग जनता है ।।

  ।। ये जो सजग जनता है ।। ये जो सजग जनता है बेहद सजग है इतनी सजग कि  इसे तुरंत दिख जाता है किसी के फ्रिज में रखा मांस का टुकड़ा किस जानवर का है इतनी सजग कि  इसे घर बैठे दिख जाता है एक एक्टर का कातिल और कत्ल करने का तरीक़ा इतनी सजग कि रखती है राजनीति की हर एक ख़बर इतनी सजग कि इसे पता हैं राज़ सारे कि नेपोटिज़्म बॉलीवुड में है बीसीसीआई में नहीं इतनी सजग कि इसे पता है कि  पेट्रोल के दाम बढ़ने में देश का फ़ायदा है इतनी सजग कि इसे पता है दरबार की सारी उट्ठकबैठक बस नहीं पता तो उस गरीब के घर का रास्ता जो भूखा है कई दिनों से बस नहीं पता तो उसका पता जो कल बेरोज़गार हो गया बस नहीं पता तो उसका पता जिसकी आवाज़ को दबा दिया गया #authornitin #poem #poetry #poetrylover #hindikavita #hindipoem #कविता 

।। राय साहब की कैबिनेट ।।

  ।। रायसाहब की कैबिनेट ।। राय साहब ने  रायगढ़ के लिए नई कैबिनेट बनाई और बोले बधाई बोले कैबिनेट तो नई है पर ये भी  बोल नहीं पाएगी क्योंकि राय देना सिर्फ रायसाहब का हक़ है राय देना  सिर्फ़ रायसाहब का हक़ है कैबिनेट तो बस चेहरे हैं दिखाने की ख़ातिर वैसे भी  राय साहब की राय है कि राय सिर्फ उनसे ही ली जाए #authornitin #poem #poetry

।। डुबोना ।।

  ।। डुबोना ।। चंद लम्हों की बारिश ने  डुबोया है शहर सारा के तुमने प्यार से देखा ही था औऱ हम भी बस डूबे ही थे वो बारिश याद है मुझको आसमाँ भी डूबने को बेताब था सारा के तुमने प्यार से देखा ही था और हम बस डूबे ही थे #authornitin #poem #poetry

।। रंगीन जवाब ।।

  ।। रंगीन जवाब ।। सवाल ढेरों उठते हैं मन में पर एक सवाल ये भी है कि क्या पूंछने से हमेशा  जवाब मिल ही जाता है? और मिल भी जाय  तो क्या वो जवाब  भाता है मन को? क्योंकि सच हमेशा स्वीकार्य नहीं होता। ज़्यादातर हम तलाशते हैं जवाब ऐसे जो हमें भा जाएं। जो आसान हो हमारे लिए ऐसे जवाब जो रंगीन हों जो हों मीठे शरबत की तरह। #authornitin #poem #poetry 

।। के अब जाने का वक़्त है ।।

  ।। के अब जाने का वक़्त है ।। झोला उठा लो  के अब जाने का वक़्त है सुरमा लगा लो के अब जाने का वक़्त है जाओ के सब लुट गया रियासत में तुम्हारी कुछ तो शर्म खाओ के अब जाने का वक़्त है गंगा साफ़ क्या होती तुमने तो लाशें हैं बहाईं अब तो कुछ होश में आओ के अब जाने का वक़्त है #authornitin #poem #poetry

।। वो हार चुका है ।।

  ।। वो हार चुका है ।। हुक़ूमत का  यूँ संगदिल हो जाना यूँ क़ातिल हो जाना कुछ और नहीं एहसास है राजा का कि वो हार चुका है। हुक़ूमत का  यूँ खबरें दबाना यूँ अखबारों को खरीदते जाना कुछ और नहीं एहसास है राजा का कि वो हार चुका है। हुक़ूमत का यूँ नफ़रत से भर जाना यूँ रोज़-रोज़ और कायर होते जाना कुछ और नहीं एहसास है राजा का कि वो हार चुका है। #authornitin #poem #poetry

।। कफ़न से सूट तक़ ।।

।। कफ़न से सूट तक़ ।। पहले लोग मरे उसके कारण, उसकी नीतियों के कारण। फिर लाशें दफनाई गईं। फिर लाशों से कफ़न छीने गए उसका सूट बनाने की खातिर। सोचता हूँ, कैसा दिखेगा वो जब पहन कर आएगा कफ़न के कपड़ों से बना सूट। और, उसी सूट को पहन वो मांगेगा वोट। वो पहनता है दुनिया का सबसे महंगा सूट। आख़िर कफ़न के कपड़ों से बने सूट से महंगा क्या हो सकता है? #authornitin #poem #poetry 

।। रोते रहना ।।

  ।। रोते रहना ।। रोने की ये कोशिश तुम करते रहना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना घड़ियाली आंसू पहचान है तुम्हारी कुछ भी हो जाए अपनी पहचान मत खोने देना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना रोते-रोते  अपनी इमेज रगड़-रगड़ धोते रहना वैसे तुम्हारे घड़ियाली आँसू मशहूर हैं दुनिया में तुम उन्हीं के सहारे सबकी दया हासिल करते रहना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना #authornitin #poem #poetry 

।। फ़क़ीरी ।।

  ।। फ़क़ीरी ।। फ़क़ीर की फ़क़ीरी देख फ़क़ीरी शर्मा गई। दस लाख का  सूट देख अमीरी शर्मा गई। पैंतीस हज़ार का मशरूम खाता देख कुबेर  शर्मा गए। फ़क़ीर की टैक्स वसूली देख अंग्रेज़ भी शर्मा गए। लाशों को नदियों में बहता देख शैतान भी शर्मा गया। खैर…..! फ़क़ीर ने झोला उठाया और चला गया। कहानी ख़त्म। #authornitin #फ़क़ीरी #poem #poetry 

।। तख़्त पर बैठा मुर्गा ।।

  ।। तख़्त पर बैठा मुर्गा ।। तख़्त पर बैठा मुर्गा अपने-आप को सूरज समझ बैठा है। वो समझता है कि सुबह उसके बांग देने से होती है। और इसीलिए  अब वो दिन भर बांग देता है। बोलता ही रहता है कभी यहाँ तो कभी वहाँ। ढूंढता रहता कि कहीं चुनाव हो रहा हो और वो वहाँ जाए और बोले, और मांगे अपने लिए वोट लोगों को बताकर कि  सुबह उसके कारण ही होती है। इसीलिए वो बोलता है, बेहिसाब, बताता है कि वो हारा तो वो बांग नही देगा। और रोक देगा सूरज को उगने से। और रोक देगा सूरज को उगने से। #authornitin #poem #poetry 

।। वो क़ातिल है ।।

  ।। वो क़ातिल हैं ।। जज़्बात के खुलासे अभी-अभी हुए हैं अभी-अभी पता चला है कि वो क़ातिल हैं थोड़ा वक़्त और गुज़रने दो  तुम देखोगे कि वो पेशेवर भी हैं अभी-अभी जाना है कि उनका पेशा क्या है और अभी-अभी वो लाशों का सैलाब आया है गद्दी तक़ पहुंचने का रास्ता कैसा भी हो उन्हें सिर्फ़ गद्दी से मतलब है अभी तो गद्दी पर थोड़ा वक़्त गुज़रा है  अभी-अभी तो खून चखा है  अभी-अभी तो अंधेरा घना हुआ है अभी-अभी तो स्वाद आया है और तुम चाहते हो जीना, अभी-भी? रहने दो!  अभी-अभी तो उन्हें प्यास लगी है अभी-अभी तो जीना शुरू किया है उन्होंने और अभी-अभी तो खून से सनी है चोंच उनकी अभी-अभी तो नोचा है मांस का टुकड़ा उन्होंने और अभी-अभी तो दावत-ए-ख़ास आया है अभी-अभी तो नोचा है मांस का टुकड़ा उन्होंने और अभी-अभी तो दावत-ए-ख़ास आया है #authornitin #poem #poetry 

।। मौत का उद्घोष ।।

  ।। मौत का उद्घोष ।। वो आते हैं कुछ बोलते हैं चले जाते हैं। और जब तक़ बोलते हैं भक्तों के कान में  सारंगी बजती है। ये भक्त बड़े अजीब हैं इन्हें गिद्ध की चोंच में लटका मांस  का टुकड़ा नज़र नहीं आता। इन्हें गिद्ध का संगीत सुनाई नहीं देता। इनकी आंखों को तो  नज़र आता है बस अपने स्वामी का  चमकता चेहरा। चाहे उस चेहरे के पीछे कितनी भी कालिख़ हो चाहे कितने ही खून के धब्बे हों। भक्त को तो सुनाई देती है  सिर्फ सारंगी। चाहे वो मौत का उद्घोष ही क्यों न हो। इसी सारंगी को सुनाने भक्तों को मनाने वो आते हैं बार-बार। वो आते हैं कुछ बोलते हैं चले जाते हैं। और जब तक़ बोलते हैं भक्तों के कान में  सारंगी बजती है। #authornitin #poem #poetry #kavita #shayari #मौत_का_उद्घोष 

।। हुक़ूमत किसकी है ।।

  ।। हुकूमत किसकी है ।। शमशान, कब्रिस्तान, कफ़न, लाशें सब पूछते हैं कि हुकूमत किसकी है अस्पतालों में हुजूम और मेलों की भीड़  सब पूछते हैं कि हुकूमत किसकी है मकान में क़ैद ये इंसान और बाहर से बंद ये दुकान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है राहों में कुछ दरबारी वोट मांग रहें हैं झूठ पर झूठ बोल वो सीना तान रहे हैं सच का ये मरघट और झूठ की ये दुकान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है  मीलों पैदल चलता मज़दूर और धरने पर बैठा किसान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है  बस कुछ शब्द बोले थे उन्होंने और सब बन्द हो गया सिर्फ उनकी चली हुक़ूमत और सब बन्द हो गया काफ़ी लोग भूखे रह गए, भूख से परेशान ये इंसान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है भ्रष्टाचारी नेता और बिके हुए पत्रकार को छोड़ कर सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है #authornitin #poem #poetry #hindipoem #hindi #hindishayari #kavita #shayari #कविता #शायरी