।। औरत ।।

।। औरत ।।


चेतना ने
चेतना से
बात की।
तब कुछ
उभरा,
कुछ जागा,
कुछ पैदा हुआ।
जागा एहसास,
जागी संवेदना,
प्यार का
प्यार से मिलन हुआ।
सौंदर्य जन्मा,
फूटी कलियां,
प्रकृति को
प्रकृति ने
तब दिया जन्म।
आया एक पूरा संसार
हुआ जीवंत
ऊर्जा का भंडार।
जागा प्रकाश,
खोया अंधकार,
प्रकृति प्रकटी
मां के,
बेटी के,
बीवी के
रूप में।
प्रकृति प्रकटी,
लायी प्रकाश,
प्रकृति आयी
औरत के
रूप में।
लायी संवेदना
लायी प्रकाश।
प्रकृति आयी
औरत के
रूप में।
लायी संवेदना
लायी प्रकाश।

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