।। कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते ।।

।। कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते ।।




कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते
यहाँ तो झूठ ही झूठ से लड़ा है अक्सर

और वो जो दावा करते हैं कि न्याय दिलाएंगे
झूठ की पैरवी करते पाए गए हैं अक्सर

वो कल खड़ा था मेरे साथ सच की तलाश में
बिका करे है कौड़ियों के भाव में अक्सर

कभी-2 ही लफ्ज़ मिला करते हैं सच को बयां करने को
झूठ ही ज़्यादा बिका करे है अक्सर

पर्दे में रखते हैं वो ख़ुदा की ख़ुदाई को
झूठ तो बेपर्दा हुए घुमा करे है अक्सर

वो कहते थे कि सच तो सामने आता ही है एक दिन
ओर झूठ को पर्दे के पीछे जाते देखा है अक्सर

लोग मर भी जाया करते हैं बदनामी के डर से
पर नेता तो बदनाम ही पाये जाते हैं अक्सर

और लोग मरते हैं तो मरा करें मेरी बला से
गरीब ही तो मरा करते हैं अक्सर

उन्हें खौफ़ था कि वो इलेक्शन हार जाएंगे
ज़बानी तीरों ने कुछ लोगों को मार कर जिताया है अक्सर

खौफ़ इतना फैला है उनका
कि बच्चे रोते हुए मिलते हैं अक्सर

भूक क्या मिटायेंगे ये लोग गरीबों की
के चारा तक़ खा लिया करते हैं ये लोग ही अक्सर

राजनीति भूल बैठी है सारे चरित्र अपने
कि राजनीति राज करने की नीति बन जाती है अक्सर

लोहा मानता हूँ उनके दिमाग का
कि लोग लड़ ही जाया करते हैं अक्सर

उनकी ज़ुबान ही कुछ ऐसी है
कि नोच लेती है शरीर का मांस ही अक्सर

लोगों को लगता है कि ये लोग उनके लिए लड़ते हैं
पर्दे के पीछे दोस्ती ही हुआ करे है अक्सर

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