।। बिखरना ।।

।। बिखरना ।।




कभी मैं बिखर गया तो ये न कहना
कि तुम बिखरते बहुत हो
क्या करें कि तुझसे जुदा होने के बाद
बिखरना ज़रूरी हो गया

जुड़ा होना तो तेरे रहने की निशानी थी
न बिखरता तो और क्या करता
मिला ही नहीं कोई संवारने वाला
तेरे जाने के बाद

रोया बहुत था उन दिनों
तेरी याद ही कुछ ऐसी थी
न बिखरता शायद
जो तू आ गयी होती

तुझे क्या पता ख़ुदा मुझे कहाँ दिखता है
झांकता हूँ जब अपने अंदर
मुझे ख़ुदा की जगह
सिर्फ तू और सिर्फ तू ही दिखता है

इबादत मेरी ऐसी थी
कि ख़ुदा रो दिया होगा
तू ही पत्थर दिल निकली
कि तुझे मेरा रोना दिखा ही नहीं

शाम तब भी ढलती थी
शाम अब भी ढलती है
पर तब तेरे होने से
वो शामें रंगीन हुआ करती थीं

तेरी मग़रूर ज़ुल्फो के साये
मौजूद थे उस वक़्त
धूप कैसी भी हो
ढल ही जय करती थी

रातें लम्बी ही सही
तेरे प्यार में डूब ही जाया करती थीं
तेरा करीब होना
रातो को जगाए रखता था

#authornitin #poet #poetry #bikharna

Comments

Popular posts from this blog

Importance of communication

An excerpt

Views of Napoleon Hill about Mahatma Gandhi