।। कौन कहता है ।।
।। कौन कहता है ।।
कौन कहता है……?
कौन कहता है
कि नेता
किसान नहीं होता।
नेता भी
होता है किसान।
उगाता है फ़सल,
उगाता है फ़सल
अनैतिकता की,
लहलहाती हुई…..।
कौन कहता है
कि नेता
किसान नहीं होता।
नेता भी
होता है किसान।
उगाता है फ़सल,
सत्ता वाली अफ़ीम की,
पूर्ण बहुमत वाली,
लहलहाती हुई…..।
ज़रा ग़ौर से देखो
देखो हर नेता को,
तुम देख पाओगे
देख पाओगे
उसके अंदर बैठे हुए किसान को
देख पाओगे
उसे अपनी फ़सल सींचते हुए
देखोगे कि कैसे वो
खड़ा करता है
झूँठ का खेत
देख पाओगे
कि कैसे
वो लगाता है
झूँठ का एक-एक पेड़
और कैसे
पालता है हर एक पेड़ को
देख पाओगे
उसकी उगाई
फ़रेब की फसलों को
जिसे कई बार
उसने सींचा होता है
लाल रंग के पानी से
जी हाँ
लाल रंग के पानी से।
ये पानी
ये लाल रंग का पानी
देता है
सबसे शानदार फ़सल
कुर्सी की,
सत्ता की,
पूर्ण बहुमत वाली,
लहलहाती हुई…..।
कौन कहता है
कि नेता
किसान नहीं होता।
नेता भी
होता है किसान।
उगाता है फ़सल,
सत्ता वाली अफ़ीम की,
पूर्ण बहुमत वाली,
लहलहाती हुई…..।
#authornitin #poem #poetry #hindipoetry #kavita
Comments
Post a Comment