।। कुछ कम उभरे अक्षर हैं ।।
।। कुछ कम उभरे अक्षर हैं ।।
कुछ कम उभरे अक्षर हैं
पर प्रेम भरा है इनमें
जब चाहो तुम भी आ जाना
मत जाना फिर, संग रह जाना
कुछ सुलझे पल यूँ मिल जाएंगे
बस प्रेम भरा हो जिनमें
तुम बस कहना, या मत कहना
अधरों को बस कम्पन देना
कम्पन भी काफ़ी होगा बस
यूँ प्रेम छिपा हो जिनमें
कुछ कम उभरे अक्षर हैं
पर प्रेम भरा है इनमें
अक्सर उभरे अक्षर सिक्कों पर पाए जाते हैं
सिक्कों में कहाँ कब प्रेम छुपा
सिक्कों के घेरे तोड़ सको, तो रह जाना,
उस घर में बस प्रेम बसा हो जिसमें
कह देना बिन बोले सब कुछ
दे देना वो जो छुप न सके
न बोले ज़ुबाँ कोई बात नहीं
आंखों से कह देना वो के प्रेम छुपा हो जिनमें
कुछ कम उभरे अक्षर हैं
पर प्रेम भरा है इनमें
कुछ कम उभरे अक्षर हैं
पर प्रेम भरा है इनमें
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