कभी न कभी
।। कभी न कभी ।।
कब तक संभाल कर रखोगे झूठ को
सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी
चादर में सर कितना भी छुपा लो
उठाना तो पड़ेगा ही कभी न कभी
मुखौटे कितने भी बदलो
असली किरदार में आना ही पड़ेगा कभी न कभी
और ज़रूरत भी क्या है झूठ बोलने की
सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी
और यूँ चुप हो जाना भी कोई बात नहीं
इज़हार तो करना ही पड़ता है कभी न कभी
संभलते रहे हो ज़िन्दगी भर कि मुखौटा गिर न जाये
पर चेहरा तो दिखलाना ही पड़ता है कभी न कभी
#कभी_न_कभी #authornitin #poem #poetry
कब तक संभाल कर रखोगे झूठ को
सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी
चादर में सर कितना भी छुपा लो
उठाना तो पड़ेगा ही कभी न कभी
मुखौटे कितने भी बदलो
असली किरदार में आना ही पड़ेगा कभी न कभी
और ज़रूरत भी क्या है झूठ बोलने की
सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी
और यूँ चुप हो जाना भी कोई बात नहीं
इज़हार तो करना ही पड़ता है कभी न कभी
संभलते रहे हो ज़िन्दगी भर कि मुखौटा गिर न जाये
पर चेहरा तो दिखलाना ही पड़ता है कभी न कभी
#कभी_न_कभी #authornitin #poem #poetry
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