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Showing posts from March, 2020

।। मुमकिन है तुम समझोगे ।।

।। मुमकिन है तुम समझोगे ।। हालातों ने दर-बदर कर दिया मुमकिन है तुम समझोगे हालातों से लड़ रहे हैं कुछ लोग मुमकिन है तुम समझोगे लेकिन धर्म के नाम पर जो भीड़ है मुमकिन है तुम समझोगे भीड़ धार्मिक नहीं होती मुमकिन है तुम समझोगे भीड़ चाहे हिन्दू हो या मुसलमान कोई नही पायेगा धर्म का सार धर्म तो एकांत का नाम है मुमकिन है तुम समझोगे बुद्ध ने अकेले में ही जाना था सत्य को मुमकिन है तुम समझोगे महावीर ने अकेले ही जाना था सत्य को मुमकिन है तुम समझोगे रह लो कुछ दिन तो एकांत में समझ सकोगे धर्म का सार समझ सके तो मिट जाएंगे भेद सारे मुमकिन है तुम समझोगे समझने में ही है सफलता सभी की मुमकिन है तुम समझोगे #मुमकिन_है_तुम_समझोगे #authornitin #poem #poetry

।। ये शहर राजधानी है ।।

।। ये शहर राजधानी है ।। दिल बड़े पत्थर हैं यहां ये शहर राजधानी हैं मकान तो हैं पर जगह नहीं ये शहर राजधानी है जस्बात सारे नक़ली हैं ये शहर राजधानी है और कहते हैं तेरी क़द्र है हमको झूठ कहते हैं, क्योंकि ये शहर राजधानी है पैसे कमाने आये थे कुछ लोग आखिर ये शहर राजधानी है गाँव याद आया पर फँस गए ये शहर राजधानी है ये बुलाता तो है पर जाने नहीं देता ये शहर राजधानी है भीड़ बढ़ती ही गई बस अड्डों पर ये शहर राजधानी है लोग चुनते गुंडे अपने नुमाईंदों के रूप में ये शहर राजधानी है सोचते हैं ये नुमाईन्दे लाएंगे बदलाव ये शहर राजधानी है भटकते ही रह गए इसलिए कुछ लोग ये शहर राजधानी है #ये_शहर_राजधानी_है #authornitin #poem #poetry 

।। आखिर घर हमारा है ।।

।। आखिर घर हमारा है ।। नज़र बचाकर आने वाले बड़े खतरनाक होते हैं लेकिन उसे घर मे घुसते ही मुझसे नज़रें मिलानी पड़ीं उसने सोचा भी न था कि ऐसा होगा वो डरा थोड़ा सकुचाया उसे समझ न आया कि क्या करे तो उसने चाकू निकाल लिया मुझपर झपटा मैं पहले थोड़ा सकुचाया लेकिन अगले ही पल मैंने ठाना की मुंहतोड़ जवाब दूंगा आखिर घर मेरा है। ऐसे कैसे किसी को लूट लेने दुँ मैंने भी आव देखा न ताव जोर का एक तमाचा जड़ा वो चौंक गया उसकी ताकत ढीली पड़ गयी और उसने भागने की ठान ली। मिलानी होती है नजरें ऐसे ही मुसीबतों से डंट के लड़ना होता है नज़रें झुकाए बिना और जस्बा अगर ऐसा हो तो हारती हैं मुसीबतें तो आओ मिलाते हैं नजरें मिलाते हैं नज़रें इस कहर से और तोड़ देते हैं हौसले इसके आखिर घर हमारा है। #authornitin #poem #poetry #आखिर_घर_हमारा_है

।। घर पर पड़े रहेंगें ।।

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।। घर पे पड़े रहेंगे ।। घर पे पड़े रहेंगे बिल्कुल अड़े रहेंगे कोई कहे निकलने को तो उससे लड़े रहेंगे जान है तो जहान है यही सबसे कहे रहेंगे हर लड़ाई मैदान में जाकर ही नही लड़ी जाती समझदारी से घर में डटे रहेंगे जीत के दिखाना है इस जंग को भी और ये मुमकिन करके रहेंगे लो आ गया है वक़्त की दिखाया जाए कुछ सुलझेंगे और कुछ सुलझा के रहेंगे घर पे पड़े रहेंगे बिल्कुल अड़े रहेंगे हाथ नहीं मिलाएंगे नमस्ते या सलाम पर टिके रहेंगे रक्खेंगे सफाई का खयाल बार-2 हाथों को साफ करते रहेंगे घर पे पड़े रहेंगे बिल्कुल अड़े रहेंगे कोई कहे निकलने को तो उससे लड़े रहेंगे यही संदेश है मेरा इसको मानिए दोस्तों आइए मिल के फैलाएं इस संदेश को और इस तरह हम जीत निश्चित किये रहेंगे #authornitin #poem #poetry #covid19 #fightagainstcorona

।। यही मेरा नज़रिया है ।।

।। यही मेरा नज़रिया है ।। रातें ही नहीं काली दिन में भी अंधेरा है आज मेरा शहर कुछ यूँ ही ठहरा-2 है। रोते से हैं जस्बात अभी उनकी बात पूरी कहाँ हुई जनाब ढोल पीट लेना ही उनका बस नज़रिया है। वो सोचते हैं हर बात का इलाज़ बस बातें हैं ठोस इन्तेज़ामात तो कर नहीं सकते इसलिए समर्थन मांगना उनका बस नज़रिया है। डरता हूँ बस ये सोचकर कि लोग भी उन्हें ख़ुदा समझते हैं सोचता हूँ कि कहीं देर न हो जाये हक़ीक़त समझने में। क्योंकि देर हुई अगर तो अँधेरा गहराएगा उनका कुछ नहीं जाएगा क्योंकि उनके लिए सब बढ़िया-2 है। लेकिन जीतते हुए देखना चाहता हूँ उनको फिर भी मैं क्योंकि चाहता हूँ मेरा शहर फिर से रौशन हो रातें फिर से चमक उठें मेरे विचार न मिलते हों उनसे कोई बात नहीं हम सब जीतें एक साथ यही मेरा नज़रिया है। #authornitin #poem #poetry #यही_मेरा_नज़रिया_है 

।। कभी तो दूर रहा जाए ।।

।। कभी तो दूर रहा जाए ।। कभी तो दूर रहा जाए इसी बहाने सही चलो कभी तो दूर रहा जाए। वो समझते ही नही दूर रहने की ज़रूरत को चले आते हैं जब देखो, चले आते हैं सर उठाये अपने घर में शायद वो इतना नहीं रहते, चले आते हैं सर उठाये यही मौका है चलो कभी तो दूर रहा जाए। इसी बहाने सीखोगे अकेले रहने की अहमियत ज़रूरी होता है कभी-2 अकेलापन भी यही मौका है चलो कभी तो दूर रहा जाए। मेरे जीवन में उनका इतना आना-जाना है कि वो अपने से ज़्यादा मेरी बुराईयों के बारे में जानते हैं। चलो इसी बहाने सही कुछ अपने बारे में भी पता चलेगा उन्हे यही मौका है चलो कभी तो दूर रहा जाए। वो कल भी आये थे मेरे घर लाये साथ मे एक बीमारी निंदा में बड़ा रस आता है उनको यही है उनकी बीमारी। करने लगे निंदा किसी और की पर मैं मुस्कुराता था मन ही मन, मुझे पता थी कि ये मेरी भी निंदा ही करते हैं। क्यों है ये नशा कुछ लोगों को आओ समझा जाए। आओ कुछ दिन दूर रहा जाए यही मौका है चलो कभी तो दूर रहा जाए। वो मेरा ऑफिस का साथी है, कभी वो मेरा पड़ोसी, कभी वो मेरा रिश्तेदार ...

।। कभी शिद्दत से मिलना ।।

।। कभी शिद्दत से मिलना ।। कभी शिद्दत से मिलना तो ही मिलने का मज़ा है दोस्तों किस्मत से ही कभी मुलाकात होती है ये उसकी ही रज़ा है दोस्तों और मिल भी लिए अगर तो क्या हुआ ग़र दिल ही न मिला हो दोस्तों क्या हुआ जो दूर थे अब तक़ दिल तो क़रीब रहा है दोस्तों जो महसूस हुआ था दूर रहके वो कुछ तो दूर हुआ है दोस्तों और एहसास हुआ था कि तूने आवाज़ दी है मैं तभी तो ढूँढते हुए आया हूँ दोस्तों के लहज़ा कुछ भी रहा हो मेरा इज़हार करने को इज़हार तो प्यार का ही किया है दोस्तों रहो कहीं भी दुआ ही दिल से आती है कि इश्क़ हमेशा ही क़ायम रहा है दोस्तों लब पर जो नाम रहता है हर वक़्त कभी तुमने भी क्या सुना है दोस्तों ज़रूर वो तुम्हारा ही नाम था तुमने सुना हो या न सुना हो ऐ दोस्तों वो मंज़र हवाओं में घुल गया था जो खुशबू लाया था तुम्हारे आने की ऐ दोस्तों #authornitin #poem #poetry #कभी_शिद्दत_से_मिलना 

।। बिखरना ।।

।। बिखरना ।। कभी मैं बिखर गया तो ये न कहना कि तुम बिखरते बहुत हो क्या करें कि तुझसे जुदा होने के बाद बिखरना ज़रूरी हो गया जुड़ा होना तो तेरे रहने की निशानी थी न बिखरता तो और क्या करता मिला ही नहीं कोई संवारने वाला तेरे जाने के बाद रोया बहुत था उन दिनों तेरी याद ही कुछ ऐसी थी न बिखरता शायद जो तू आ गयी होती तुझे क्या पता ख़ुदा मुझे कहाँ दिखता है झांकता हूँ जब अपने अंदर मुझे ख़ुदा की जगह सिर्फ तू और सिर्फ तू ही दिखता है इबादत मेरी ऐसी थी कि ख़ुदा रो दिया होगा तू ही पत्थर दिल निकली कि तुझे मेरा रोना दिखा ही नहीं शाम तब भी ढलती थी शाम अब भी ढलती है पर तब तेरे होने से वो शामें रंगीन हुआ करती थीं तेरी मग़रूर ज़ुल्फो के साये मौजूद थे उस वक़्त धूप कैसी भी हो ढल ही जय करती थी रातें लम्बी ही सही तेरे प्यार में डूब ही जाया करती थीं तेरा करीब होना रातो को जगाए रखता था #authornitin #poet #poetry #bikharna

।। सागर ।।

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।। सागर ।। सागर ऊपर की लहरों का नाम नहीं सागर तो कहीं गहरे में छिपा होता है। जो लहरें ऊपर दिखाई देती हैं वो पैदा तो गहराई में ही होती हैं। मन भी सागर की तरह होता है उतना ही गहरा उतना ही विस्तृत। ऊपरी विचार तो सिर्फ लहरें हैं। मन भी सागर की ही तरह होता है असली खज़ाना तो छिपा होता है गहराई में खोजना हो तो उतरना होता गहराई में। लहरों को भूल उतरना होता गहराई में। इंसान भी उसी सागर की लहर का नाम है सागर को समझने के लिए उतरना होता है गहराई में। गहराई कभी लहरों को नहीं नकारती नकारती हैं तो लहरें गहराई को। इंसान भी खोज नहीं पाता अपने अस्तित्व को क्योंकि डरता है गहराई से। डरता है गहराई में उतरने से पर खोजना हो तो उतरना होता गहराई में। सागर ऊपर की लहरों का नाम नहीं सागर तो कहीं गहरे में छिपा होता है। जो लहरें ऊपर दिखाई देती हैं वो पैदा तो गहराई में ही होती हैं। मन खोजता है शान्ति जीवन भर, अनवरत पर खोजता है लहरों में सिर्फ ऊपरी विचारों में। इसी भूल में वो भटकता है भूल जाता है कि वो गलत जगह पर खोजता है। खोजना हो तो डू...

।। कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते ।।

।। कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते ।। कब देखा है आपने झूठ को सच से लड़ते यहाँ तो झूठ ही झूठ से लड़ा है अक्सर और वो जो दावा करते हैं कि न्याय दिलाएंगे झूठ की पैरवी करते पाए गए हैं अक्सर वो कल खड़ा था मेरे साथ सच की तलाश में बिका करे है कौड़ियों के भाव में अक्सर कभी-2 ही लफ्ज़ मिला करते हैं सच को बयां करने को झूठ ही ज़्यादा बिका करे है अक्सर पर्दे में रखते हैं वो ख़ुदा की ख़ुदाई को झूठ तो बेपर्दा हुए घुमा करे है अक्सर वो कहते थे कि सच तो सामने आता ही है एक दिन ओर झूठ को पर्दे के पीछे जाते देखा है अक्सर लोग मर भी जाया करते हैं बदनामी के डर से पर नेता तो बदनाम ही पाये जाते हैं अक्सर और लोग मरते हैं तो मरा करें मेरी बला से गरीब ही तो मरा करते हैं अक्सर उन्हें खौफ़ था कि वो इलेक्शन हार जाएंगे ज़बानी तीरों ने कुछ लोगों को मार कर जिताया है अक्सर खौफ़ इतना फैला है उनका कि बच्चे रोते हुए मिलते हैं अक्सर भूक क्या मिटायेंगे ये लोग गरीबों की के चारा तक़ खा लिया करते हैं ये लोग ही अक्सर राजनीति भूल बैठी है सारे चरित्र अपने कि राजनीति राज करने की नी...

।। औरत ।।

।। औरत ।। चेतना ने चेतना से बात की। तब कुछ उभरा, कुछ जागा, कुछ पैदा हुआ। जागा एहसास, जागी संवेदना, प्यार का प्यार से मिलन हुआ। सौंदर्य जन्मा, फूटी कलियां, प्रकृति को प्रकृति ने तब दिया जन्म। आया एक पूरा संसार हुआ जीवंत ऊर्जा का भंडार। जागा प्रकाश, खोया अंधकार, प्रकृति प्रकटी मां के, बेटी के, बीवी के रूप में। प्रकृति प्रकटी, लायी प्रकाश, प्रकृति आयी औरत के रूप में। लायी संवेदना लायी प्रकाश। प्रकृति आयी औरत के रूप में। लायी संवेदना लायी प्रकाश। #औरत #happy_women’s_day #authornitin #poem #poetry 

।। बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग ।।

।। बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग ।। बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग वो जानते है अपनी बातों से मुकर जाना बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग उन्हें पता होता है सच को झूठ और झूठ को सच बनाना बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग जानते हैं दूसरों की कमज़ोरी का फायदा उठाना बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग जानते हैं रिश्तों में भी व्यापार कर जाना और बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग जानते हैं मदद करके एहसान जता जाना बड़े समझदार होते हैं कुछ लोग जानते हैं दोस्ती करना और दगा दे जाना #authornitin #authornitinblog #poem #poetry

।। नज़रें झुकाओ तो पता चले ।।

।। नज़रें झुकाओ तो पता चले ।। नज़रें झुकाओ तो पता चले कि ज़मीन कैसी है नजरें झुकाओ तो पता चले कि कितने सूखे पत्ते गिरे हैं राहों में नजरें झुकाओ तो पता चले कि कितनी नज़रें बिछीं है तेरी राहों में कभी-2 ज़रूरी होता है नज़रें झुकाना ख़ुद को जानने के लिए भी और कभी-2 ज़रूरी होता है नज़रें झुकाना अपने क़रीब आने के लिए भी नज़रें झुकाओ तो पता चले कि मंज़िलें कदमों से नापी जाती हैं और कभी-2 ज़रूरी होता है नज़रें झुकना अपनी परछाईं को नापने के लिए भी क्योंकि परछाईं ही बतलाती है कि वक़्त शुरू हुआ है या ढल रहा है क्योंकि परछाईं ही बतलाती है कि अभी सुबह हुई है कि शाम नज़रें झुकाओ तो पता चले कि राह में कांटे हैं या फूल बिखरे पड़े हैं नज़रें झुकाओ तो पता चले कि बाकी सब ही नहीं तुम भी एक परछाईं हो बस परछाई! सिर्फ एक परछाई! तुम सिर्फ एक परछाईं हो वही परछाईं जो कुछ पल के लिए दिखती है और फिर गायब हो जाती है वही परछाईं जो भूल जाती है कि कोई अस्तित्व है ही नहीं उसका वही परछाईं जिसको सुबह अपने कद का गुमां होता है और शाम को कद बढ़ा के फिर गुम हो जाती ...