।। कुछ कविताएं लिखी जाएं ।।

।। कुछ कविताएं लिखी जाएं ।।


और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

आओ इसी बहाने कुछ गम भुलाए जाए
और आओ कुछ और नग़मे गाये जाएं।

बहुत हो गए अब गिले और शिकवे
कुछ प्यार की कलियां अब खिलाई जाएं।

कि दफ़्न हो जाना है कफ़न ओढ़ के एक दिन
चलो अभी तो ज़िन्दगी के तराने गाये जायें।

और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

पता नहीं अब हम मिलें न मिलें
कुछ और पल आओ सँवारे जाएं।

थकान बहुत हो गई चलते चलते
आओ कुछ देर बैठें और गीत गुनगुनाये जाएं।

सुना तुम कुछ मशहूर हो गए हो आजकल
इसी बात का चलो जश्न मनाए जाएं।

और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

राह बड़ी कठिन हो चली थी तुम्हारे बिना
तुम आज मिले तो आओ अपने सुर भी मिलाये जाएं।

राह जैसी भी थी अकेले न कट पाएगी हमसे
आओ एक दूसरे से दोस्ती निभाये जाएं।

मंज़र कुछ वीरान सा था दोस्तों
तुम्हें साथ लेके चलो ये वीराने मिटाए जाएं।

और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

क्या तुम्हें पता नहीं था कि कितना उदास था तुम्हारे बिन
चलो साथ मिल के ये उदासी अब मिटाए जाएं।

वो जो सालो पहले तुमने बेवफाई की थी
भूल के उसको अब तो ये रिश्ते निभाये जाएं।

जो खोना था वो खो चुका है अब
छोड़ के वो खेल खिलौने चलो नए दीप जलाए जाएं।

और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

राह में बहुत आये कांटे सही
चलो अब नई फसल बोई जाए और जश्न मनाए जायें।

कि मिट जाएगी ये ज़िन्दगी कुछ लम्हों में अभी
इस पल को तो कुछ खुशगवार बनाये जाएं।

मिलोगे तुम तो याद ये रखना
के सब के लिए मिल के कुछ दीप जलाए जाएं।

और कुछ कवितायें लिखी जाएं
कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं।

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