।। मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की ।।



।। मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की ।।


मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की

अज़ानों में भजन घुल गए उस दिन
और भजनों ने अज़ानों से मुलाक़ात की

क्या मंज़र था तुम्हे क्या पता ऐ दोस्त
कि रांझा मजनू हो गया
और हीर ने लैला से मुलाक़ात की

कृष्ण की बंसी ने जादू जो छेड़ा
कि क़व्वाली ने भजनों से मुलाक़ात की

मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की 

होली में रंग लगाया अब्दुल नें
और गीता ने सुरैया से मुलाकात की

भगवा और हरा घुल गया आसमानों में
और टोपी ने पगड़ी से मुलाक़ात की

कुछ मिले यूँ सातों रंग
कि नज़ारा नूरानी हो गया
और चांदनी ने चकोरों से मुलाक़ात की

मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की

उन्हीं बातों से तो पता चली कैफ़ियत अपनों की
और शायरी ने कविता से मुलाक़ात की

जस्बात खुल के आये सामने तब
और आंसुओं ने निगाहों से मुलाकात की

घुल गए जस्बात सारे आंसुओं में तब
जब मेरे धर्म ने तेरे मज़हब से मुलाक़ात की

मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की

तू और मैं अलग तो नहीं ऐ दोस्त
पैगाम एक ही है इंसानियत का तेरे और मेरे धर्म में
और कुछ इस तरह पैगामों ने भी मुलाक़ात की

रूह मिल गई तब, जान सी आई पसीने में
गिरा जब मज़दूर का पसीना
तभी तो हमनें मंदिर या मस्ज़िद से मुलाक़ात की

वो मज़दूर का पसीना ही है
जो लाता है वजूद में ख़ुदा का घर
और तभी ख़ुदा ने घर से मुलाकात की

मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की

क़व्वाली खूबसूरत थी, भजन भी क्या सुरीले थे
और ऐसे ही खूबसूरती ने सुरों से मुलाक़ात की

बैठे रहती थीं कुछ बुलबुलें मस्ज़िद की मीनारों पर
इसी बहानें इन बुलबुलों ने कोयलों से मुलाक़ात की

शोर कुछ यूँ फूटे इन मीनारों से
कि ज़र्रे-ज़र्रे ने आफताबों से मुलाक़ात की

मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की
कुछ हालात बदलने की कोशिश की
और कुछ मुलाकात की




पुस्तक का हिस्सा है अब ये कविता। इसी तरह की और कविताओं को पढ़ने के लिए ज़रूर पढ़ें पुस्तक 
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