।। रात और साज़िश ।।
।। रात और साज़िश ।। कभी बहुत देर तक़ ये रात चली आती है धुंधला ही सही तारों का नज़ारा होता है जाते-जाते अक्सर फिर रात की ही बाहों में चमकते जुगनू सा ही गुमां होता है और वो रात ही थी कि जब तुम आये थे रात के आगोश में तेरा होना ही बयाँ होता है लाख सुबह कोशिश करले नशा रात को ही जवां होता है कोई भी साज़िश यूँ मुकम्मल नहीं होती साज़िशों का ख़ाका भी रात को ही जवां होता है अंधेरों को कम मत समझना यारों अंधेरे और रात का याराना भी रात में ही रवां होता है #रात_और_साज़िश #कविता #poem #poetry #authornitin