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Showing posts from January, 2021

।। साहब फ़क़ीर थे ।।

  ।। साहब फ़क़ीर थे ।। वो देश को बेचते चले गए। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। अपना ज़मीर बेचते चले गए। बहुत कुछ मिला उन्हें बेचने के काबिल। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। जो मिला वो बेचते चले गए। एक ज़मीर की औक़ात ही क्या। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। बदस्तूर वो देश ही बेचते चले गए। किसान हो या मज़दूर उन्हें बस बेचने से मतलब। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। उनके पसीने से निकला नमक भी वो बेचते चले गए। किसी ने संजोए थे ख्वाब कि लाएंगे वो खुशहाली। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। खुशहाली को फ़क़ीरी के नाम पर वो बेचते चले गए। रंग लाईं तेल की बढ़ती कीमतें। क्या करें! साहब फ़क़ीर थे। टैक्स बढ़ा कर वो तेल बेचते चले गए। #authornitin #poem #poetry 

।। उसका क्या ।।

  ।। उसका क्या ।। तुमने हार मान ली कोई बात नहीं पर मैं जो गिर कर सम्भला हूँ तुम्हारे लिए, उसका क्या तुम्हें अपनी कुर्बानी तो याद है कोई बात नही पर मैं जो जीता आया हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए, उसका क्या तुम उदास हो जाते हो अक़्सर कोई बात नहीं पर खुश देखने को मैंने जो  ख्वाब सजाए, उसका क्या #authornitin #poem #poetry

।। मास्क ।।

  ।। मास्क ।। मुखौटे चारों तरफ थे मुखौटों को ही बस हम देखते थे पहली बार मुखौटों को मास्क ने छुपाया वाह तेरी कुदरत ने ये क्या दिन दिखाया मुखौटे पहले ही बहुत थे चेहरे छुपाने को मास्क ने फिर क्यों ये कहर ढाया  पहली बार मुखौटों को मास्क ने छुपाया  वाह तेरी कुदरत ने ये क्या दिन दिखाया  #authornitin #poem #poetry #hindi #kavita #मास्क 

।। कायर ।।

  ।। कायर ।। किसी का यूँ  कायर होते जाना झोंक देना  अपनी सारी ताक़त सच को दबाने की ख़ातिर मालिक होना  एक फितूरी दिमाग़ का एक दिमाग जिसमे सत्ता सर्वोपरी है क्यों वो कायर नही समझता कि आज नही तो कल  वो नहीं रहेगा नही रहेगा  सत्ता में तब लिखा जाएगा इतिहास लिखा जाएगा  इतिहास कायरता भरा लिखा जाएगा  इतिहास काले अक्षरों से लिखा जाएगा  कि कैसे दबाया  लोगों को लोग वो  जो मांग रहे थे  सिर्फ अपना हक़ हक़ सिर्फ जीते जाने का हक़ जीने का  खुद के लिए  और दूसरों के लिए मगर वो कायर वो तख्तनशीं  समझता था  सिर्फ़ नफ़रतें समझता था  सिर्फ़ गुमान इसीलिए सारी बातें ख़ाली जाती रहीं मिलते थे खोखले आश्वासन और जब कोई  मांगता था अपना हक़ तो मिलती थी  बदनामी मिलता था  देशद्रोही होने का तमगा किसी का यूँ कायर होते जाना निशानी है कि वो हार चुका था और इतिहास बताएगा कि वो हार चुका था हार चुका था अपने फ़र्ज़ निभाने में हार चुका था न्याय दिलाने मे कि वो  हार चुका था देश को आगे लाने में #कायर #poem #poetry #authornitin 

।। कुछ कम उभरे अक्षर हैं ।।

  ।। कुछ कम उभरे अक्षर हैं ।। कुछ कम उभरे अक्षर हैं पर प्रेम भरा है इनमें जब चाहो तुम भी आ जाना मत जाना फिर, संग रह जाना कुछ सुलझे पल यूँ मिल जाएंगे बस प्रेम भरा हो जिनमें तुम बस कहना, या मत कहना अधरों को बस कम्पन देना कम्पन भी काफ़ी होगा बस यूँ प्रेम छिपा हो जिनमें कुछ कम उभरे अक्षर हैं पर प्रेम भरा है इनमें अक्सर उभरे अक्षर सिक्कों पर पाए जाते हैं सिक्कों में कहाँ कब प्रेम छुपा सिक्कों के घेरे तोड़ सको, तो रह जाना, उस घर में बस प्रेम बसा हो जिसमें कह देना बिन बोले सब कुछ दे देना वो जो छुप न सके न बोले ज़ुबाँ कोई बात नहीं आंखों से कह देना वो के प्रेम छुपा हो जिनमें कुछ कम उभरे अक्षर हैं पर प्रेम भरा है इनमें कुछ कम उभरे अक्षर हैं पर प्रेम भरा है इनमें #authornitin #poem #poetry #kavita #hindishayari 

।। मत पूछ ।।

  ।। मत पूछ ।। सवालिया निशान मत बता सिर्फ के तू कहाँ से आया? कुछ बात ये भी करले के ख्वाब में तूने क्या सजाया? सिर्फ ये मत पूछ के क्या मिला तुझे  इस दुनिया में आकर, बात ये भी कर के तू अब तक़ क्या दे पाया? सिर्फ़ निगाहें तरेर लेना आसान होता है ये भी देख के क्या तू प्यार से उसे कभी देख पाया? और देख कि कितना चाहती है वो तुझको। देख कि कितना चाहती है वो तुझको। पर क्या तू भी उसे  उतना ही प्यार दे पाया? ख़ुदा ये न पूछेगा तुझसे कि कौन था तू, कहाँ से आया? पर सच मान वो ये ज़रूर पूछेगा कि क्यों तू कुछ भी किसी को न दे पाया? #authornitin #poem #poetry

।। गर्म सवेरे ।।

  ।। गर्म सवेरे ।। गर्म सवेरे बाकी हैं बहुत अभी तुम्हारी ज़िन्दगी में इतना गुमसुम मत बैठो। के सवेरा तो बस  आने को है, तुम इतना गुमसुम मत बैठो। उठो और बताओ सबको के तुम ज़िंदा हो अभी के इतना गुमसुम मत बैठो गर्म सवेरे बाकी हैं बहुत अभी तुम्हारी ज़िन्दगी में इतना गुमसुम मत बैठो। रह सके जो तन्हा कभी जानोगे अपनी अहमियत, तो इतना गुमसुम मत बैठो  शोर न कर सके, कोई बात नहीं धीरे ही सही, पर बोलो अभी इतना गुमसुम मत बैठो क्यों न सवेरा भी जान जाए कि तुम ज़िंदा हो, इसलिए तुम इतना गुमसुम मत बैठो गर्म सवेरे बाकी हैं बहुत अभी तुम्हारी ज़िन्दगी में इतना गुमसुम मत बैठो। #authornitin #poem #poetry #gumsum #hindipoetry #hindishayari 

।। कौन कहता है ।।

  ।। कौन कहता है ।। कौन कहता है……? कौन कहता है कि नेता  किसान नहीं होता। नेता भी  होता है किसान। उगाता है फ़सल, उगाता है फ़सल अनैतिकता की, लहलहाती हुई…..। कौन कहता है कि नेता किसान नहीं होता। नेता भी  होता है किसान। उगाता है फ़सल, सत्ता वाली अफ़ीम की, पूर्ण बहुमत वाली, लहलहाती हुई…..। ज़रा ग़ौर से देखो देखो हर नेता को, तुम देख पाओगे देख पाओगे उसके अंदर बैठे हुए किसान को देख पाओगे उसे अपनी फ़सल सींचते हुए देखोगे कि कैसे वो खड़ा करता है झूँठ का खेत देख पाओगे कि कैसे वो लगाता है झूँठ का एक-एक पेड़ और कैसे पालता है हर एक पेड़ को देख पाओगे उसकी उगाई फ़रेब की फसलों को जिसे कई बार उसने सींचा होता है लाल रंग के पानी से जी हाँ लाल रंग के पानी से। ये पानी  ये लाल रंग का पानी देता है  सबसे शानदार फ़सल कुर्सी की, सत्ता की, पूर्ण बहुमत वाली, लहलहाती हुई…..। कौन कहता है कि नेता किसान नहीं होता। नेता भी  होता है किसान। उगाता है फ़सल, सत्ता वाली अफ़ीम की, पूर्ण बहुमत वाली, लहलहाती हुई…..। #authornitin #poem #poetry #hindipoetry #kavita 

।। वो क़त्ल हो गए ।।

  ।। वो क़त्ल हो गए ।। क़त्ल की रात थी कुछ लोग क़त्ल हो गए इंतेज़ार करते रहे मौत का अपने और वो क़त्ल हो गए लगता रहा उनको कि आएंगे, आएंगे लोग मदद करने कोई न आया मदद को और वो क़त्ल हो गए सर्द रातों में ये विरोध कैसा कुछ कानून ही तो बनाये हैं उन्होंने वो कहते रहे कि हम सरकार हैं, हम सरकार हैं, परवाह है आपकी वो परवाह करते रहे,  छोड़ उन्हें सर्द रास्तों पर करते रहे वो इंतेज़ार  उन्हीं सर्द रास्तों पर करते रहे इंतेज़ार और वो क़त्ल हो गए क़ातिल का यूँ मुस्कुराना, बेशर्मी के साथ कुछ और नहीं गुरुर है कुछ भी कहना और अड़े रहना कुछ और नहीं गुरुर है गुरुर पहुंचा पहाड़ की चोटी पर और वो क़त्ल हो गए बरसता रहा पानी  कभी आसमान से तो कभी पिचकारी से ख़ूब खेली होली सरेआम ऐसे कि लाल होता रहा पानी ख़ूब खेली होली सरेआम और वो क़त्ल हो गए भिगोया उन्हें ऐसे सर्द रातों में के कोई न मिला समाधान कोई न मिला समाधान और वो क़त्ल हो गए कोई न मिला समाधान और वो क़त्ल हो गए #authornitin #poem #poetry #hindipoetry 

।। दीपक की आरज़ू ।।

  ।। दीपक की आरज़ू ।। एक दीपक की आरज़ू  कि वो जलना चाहे हवा तेज़ सही,  फिर भी वो लौ बनना चाहे ज़ख़्म कितने भी आये  पर वो सिपाही था वतन पर मर-मिटने में ही  वो खुश रहना चाहे और मन्दिर का पुजारी क्या जाने  ख़ुदा कहाँ-कहाँ बैठा ख़ुदा से पूछ के देखो वो कहाँ रहना चाहे उसे तो पसंद था दिल में रहना तेरे पर तूने तो पाल रखा था नफ़रतों को वहाँ पर जिस दिल में आकर वो बसना चाहे जिस दिल में आकर वो बसना चाहे #authornitin #poem #poetry #hindipoetry