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Showing posts from April, 2020

।। लहजा दर लहजा कुछ कहते थे तुम ।।

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।। लहजा दर लहजा कुछ कहते थे तुम ।। लहजा दर लहजा कुछ कहते थे तुम हिम्मत तुम्हारी दुनिया ने देखी है न झुकते थे न रुकते थे तुम लहजा दर लहजा कुछ कहते थे तुम ऋषि कोई यूँही नहीं बन जाता जो भी हो हक़ीक़त वही कहते थे तुम बंदिशें कुछ लोगों को बांधा नहीं करती कुछ यूँ ही ज़माने से बात करते थे तुम कुछ मुल्क यूँ ही नहीं महान बनते कुछ लोग चाहिए होते हैं तुम्हारे जैसे सलाम इस मुल्क को किया करते थे तुम लहजा दर लहजा कुछ कहते थे तुम #लहजा_दर_लहजा_कुछ_कहते_थे_तुम #authornitin #poem #poetry #rishikapoor 

।। तो क्या हो जाएगा ।।

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।। तो क्या हो जाएगा ।। लोग याद भी कर लें तो क्या हो जाएगा,  लोग भूल भी जाएं तो क्या हो जाएगा। यही है ज़िन्दगी की हक़ीक़त, उड़ भी लिए तो क्या हो जाएगा। बिफ़र कर रोना तो आता है तेरी मौत पर ऐ दोस्त, कुछ लोग तेरे लिए रो भी दिए तो क्या हो जाएगा। रोते आये हैं लोग पहले भी बहुत बार, एक बार और रो दिए तो क्या हो जाएगा। कहीं इत्तेफ़ाक़ तो नहीं था तेरा आना और फिर यूँ चले जाना, बदस्तूर जारी है दस्तूर आने जाने का, लगी है लाइन आने जाने वालों की, यही होता रहा है, फिर हो गया तो क्या हो जाएगा। जीता रहता है इंसान कुछ गुमान करते हुए, गुमान न भी हुआ तो क्या हो जाएगा। जाना तो सबको है एक न एक दिन, अमीरों को याद करते हैं बहुत लोग, गरीब को भूल भी गए तो क्या हो जाएगा। जीते जी वो ग़म को संभाल न सका, मरते वक्त ग़मगीन रह गया तो क्या हो जाएगा। और सुना है बड़े दुःखी हैं लोग तेरे जाने के बाद, सब भ्रम है, कल मुस्कुराते नज़र आये तो क्या हो जाएगा। सब इत्तेफ़ाक़ है, न तू सच है न मैं हूँ सच, जाना तो पड़ेगा ही एक दिन, तू सच जान भी गया तो क्या हो जाएगा। #तो_क्या_ह...

कभी न कभी

।। कभी न कभी ।। कब तक संभाल कर रखोगे झूठ को सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी चादर में सर कितना भी छुपा लो उठाना तो पड़ेगा ही कभी न कभी मुखौटे कितने भी बदलो असली किरदार में आना ही पड़ेगा कभी न कभी और ज़रूरत भी क्या है झूठ बोलने की सच तो सामने आएगा ही कभी न कभी और यूँ चुप हो जाना भी कोई बात नहीं इज़हार तो करना ही पड़ता है कभी न कभी संभलते रहे हो ज़िन्दगी भर कि मुखौटा गिर न जाये पर चेहरा तो दिखलाना ही पड़ता है कभी न कभी #कभी_न_कभी #authornitin #poem #poetry

।। भीड़ ।।

।। भीड़ ।। ये आज की बात नहीं सदियों पुरानी बात है भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही थी सदियों पुरानी बात है पर लगता है जैसे अभी की कोई घटना हो भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही थी खड़े थे लोग पत्थर उठाये जैसे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे उसको भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही थी नफरत का ज़माना था नफ़रतें थी आंखों में टिकी थीं सबकी ही निगाहें उस एक अबला नारी पर मार ही डालना चाहते थे लिए पत्थर अपने-2 हाथों में वो बचती बचाती भाग आई थी थोड़ी दूर आस लिए कि कोई शायद बचा ले देखती थी उम्मीद बांधे पर दया कैसे किसी को आती भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही थी कुछ ही देर में उसने  पाया खुद को भीड़ के बीच खून पीने को व्याकुल भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही थी तभी आया एक सन्त बोला उस भीड़ से कि ठीक है ये पापन है ठीक है तुम समझते हो पापी इसको पर क्या कोई है जिसने कोई पाप न किया हो पत्थर वही मारे जिसने कभी कोई पाप न किया हो तब छूट गए थे पत्थर लोगों के हाथों से मगर भीड़ आज भी वैसी ही है भीड़ तब भी वैसी ही...

।। सुनना भी ज़रूरी होता है ।।

।। सुनना भी ज़रूरी होता है ।। वो जो बैठे हैं महत्वपूर्ण पदों पर वो जिनके पास है सारी ताक़त  वो सुनना चाहते हैं क्या कि  आम जनता क्या चाहती है वो नहीं जानते कि सुनना भी ज़रूरी होता है लेकिन आपको समझना होगा कि उनका आपकी समस्याओं के बारे में,  आपके खयालात के बारे में क्या है विचार वो चाहे या न चाहे, लेकिन सुनना भी ज़रूरी होता है कभी-2 चिल्लाना पड़ता जगाने के लिए उनको जो सोये हुए हैं चिल्लाना होता है एहसास दिलाने के लिए, कि सुनो क्योंकि सुनना भी ज़रूरी होता है संवाद एक तरफा नहीं होता बोलने वाले के अंदर भी होना चाहिए सुनने का माद्दा बोलने और सुनने से ही संवाद होता है पूरा और इसीलिए सुनना भी ज़रूरी होता है मगर वो जो है ताकतवर वो सिर्फ सुनाना चाहता है सुनना उसकी आदत ही नहीं लेकिन उसे एहसास होगा आज नहीं तो कल कि सुनना भी ज़रूरी होता है #सुनना_भी_ज़रूरी_होता_है #authornitin #poem #poetry 

।। दरियादिल ।।

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शर्म से डूब जाना भी दुश्वार हो जाता है कभी-2 कि लोग इतने बेशर्म हो चले हैं कुछ बड़े दरियादिल देखें हैं इन आँखों ने अभी-2 पर ये दरियादिल बड़े बेशर्म हो चलें हैं नेकी कर और दरिया में डाल ये कहावत बड़ी पुरानी हो चली है कि अब तो ज़माना है दिखावे का कि लोग बड़े बेशर्म हो चले हैं दरियादिली का आलम तो देखिए दोस्तों की हम तो भीड़ हो के दरियादिल हो गए हैं दिया है इतना कि समंदर में न समायेगा और तब भी कोई तारीफ़ नहीं करता की लोग बड़े बेशर्म हो चले हैं शर्म से डूब जाना भी दुश्वार हो जाता है कभी-2 कि लोग इतने बेशर्म हो चले हैं #authornitin #poem #poetry

।। हो सकता है मै जीत जाऊं ।।

।। हो सकता है मै जीत जाऊं ।। हारने या जीतने का नाम ज़िन्दगी नहीं हो सकता है मैं हार जाऊं हो सकता है मै जीत जाऊं ज़िन्दगी तो एहसास है लड़ने का ज़िन्दगी तो एहसास है ये साबित करने का कि मैं मरा नहीं अभी ज़िंदा हूँ क्या हुआ गर हार गया ज़िन्दगी तो एहसास है कि लड़ता रहा उस ईश्वर से ये कहता रहा कि देख तूने व्यर्थ मुझे रचा नहीं ज़िन्दगी तो एहसास है कि कहता रहा बहूँगा तोड़ हर बंधन को मैं कहता रहा कि तेरे इस संसार को सजाऊंगा और नए फूल अब खिलाऊंगा हारने या जीतने का नाम ज़िन्दगी नहीं हो सकता है मैं हार जाऊं हो सकता है मै जीत जाऊं ज़िन्दगी तो एहसास है नित नए सृजन गढ़ने का कुछ नई कोपलें खिलाने का फिर हार गया तो हार गया कोई बात नहीं ज़िन्दगी तो एहसास है हार को भी गले लगाने का लेकिन फिर बिना रुके एक और कोशिश कर जाने का क्या हुआ अगर कदम डगमगाते हैं बच्चा तो चलना सीख ही जाता है गिरता है फिर संभलता है खड़ा होता है अपने छोटे पैरों पर गिरता है फिर उठता है और एक दिन चलना सीख जाता है ज़िन्दगी तो एहसास है इसी गिरने और संभलने का गिर के उठने का फिर गिरने का और चलना सीख जाने...

।। न तुम ये हो न वो हो ।।

।। न तुम ये हो न वो हो ।। सिमट जाता है सायों के जंगल में ये सारा संसार न तुम ये हो न वो हो। कर सकते हो जितना भी चाहे कर लो गुमान, पर न तुम ये हो न वो हो। भटकते रहते हैं जीवन भर कुछ कर जाने की चाहत लिए भूल जाते हैं मगर न तुम ये हो न वो हो। राह भटके हुए भी मानते है खुदको मालिक गुलिस्तां का भूल जाते हैं मगर न तुम ये हो न वो हो। भृमजाल सा है ये संसार सारा तुम खुद को कुछ भी समझो, मगर न तुम ये हो न वो हो। कितना भी चाहे कर सकते हो गुमान टूटेगा एक दिन मगर, क्योंकि न तुम ये हो न वो हो। #authornitin #poem #poetry #न_तुम_ये_हो_न_वो_हो