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।। वजह ।।

।। वजह ।। छोड़ रखा है मर जाने के लिए मुझे तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही ज़ख़्म पर ज़ख़्म उड़ेले हैं मुझपर इस तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही वो ज़ख़्म मैं भूल ही न सका अब तक़ जो दिए हैं मुझे इस तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही रोता रहता था अक़्सर अकेले-अकेले तन्हा ही रहा हूँ इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही क्या पता था कि मैं भी हार जाऊँगा एक दिन जीतता ही आया था अब तक इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही यूँ कुछ तकलीफ़ें कम भी हो जाती पर तुमने भी तन्हा ही रखा इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही #वजह #authornitin #poem #poetry #rip_shushant 

।। ज़मीर ।।

।। ज़मीर ।। हर चीज़ का रेट बढ़ रहा है सब कुछ महंगा होता जा रहा है एक ज़मीर के सिवाय। वो क्या था पहले जिसे लोग बेचते नहीं थे कभी-कभी सब कुछ बिक जाता एक ज़मीर के सिवाय। कहाँ गए वो लोग जो झुकते नहीं थे चाहे लालच कितना भी बड़ा हो वो बिकते नहीं थे चाहे बेचना पड़े सब कुछ एक ज़मीर के सिवाय। कभी सोचता हूँ कि महाराणा का कद इतना बड़ा क्यों है क्यों नहीं कोई और ले सकता महाराणा की जगह क्योंकि महाराणा ने भी सब कुछ त्याग दिया एक ज़मीर के सिवाय। क्यों नहीं है अब कोई बहादुर शाह जैसा जिसने दे दी अपनी जान पर झुका नहीं जिसने दे दिया सब कुछ  एक ज़मीर के सिवाय। कहाँ है वो झांसी की रानी जिसे कोई हरा न सका जो सब कुछ हार गई एक ज़मीर के सिवाय। और आज तो हर चीज़ है बिकाऊ और सब कुछ है महंगा एक ज़मीर के सिवाय। #ज़मीर #authornitin #poem #poetry 

।। अधूरी कहानी ।।

।। अधूरी कहानी ।। अभी ये कहानी  कहाँ हुई पूरी अभी तो है ये अधूरी। क्या चाहिए किसी कहानी को पूरा करने के लिए। ज़रूरी तो नहीं कि अंत में सब अच्छा हो ज़रूरी तो नहीं कि सब्ज़ बाग ही दिखाए जाएं। क्या युद्ध में लड़ते हुए जो शहीद होता है उसकी कहानी अधूरी रह जाती है या हो जाती है पूर्ण? क्या कोई भी कहानी कभी हो पाती है पूर्ण? सच तो ये है कि कहानियाँ तो सिर्फ कहानियों में ही होती हैं पूरी हक़ीक़त में तो रह जाती है अपूर्ण। रह जाती है कोई न कोई कशमकश  बाकी। रह जाती है कोई न कोई कहानी बाक़ी  हर कहानी में। कहाँ हो पाती है कोई कहानी पूर्ण। रह जाती है बाक़ी कोई न कोई चाहत हर कहानी में। कहाँ हो पाती है कोई कहानी पूर्ण। रह जाता है अधूरा कोई न कोई मंज़र हर कहानी में। सच तो ये है कि इसी अपूर्णता मे ही छिपी है पूर्णता। कहाँ मिल पाती  किसी को भी पूर्णता जब तक वो करता रहता है पूर्णता की तलाश। पर अनायास वो हो जाता है पूर्ण जो छोड़ देता है  हर तलाश। जो छोड़ देता है चाहत पूर्ण हो जाने की। जो छोड़ दे...

।। विकास या विनाश ।।

।। विकास या विनाश ।। एक अनमना अजन्मा अनाम मगर जिसे  जन्म लेने से पहले ही दिया गया नाम। नाम रखा गया 'विकास'। लोगों ने कल्पनाएं भी पाल ली कि विकास ऐसा होगा कुछ ने कहा कि नही विकास वैसा होगा। कुछ ने कहा कि विकास देखने में इतना सुंदर होगा कि चारों ओर रोशनी छा जाएगी। कुछ ने कहा विकास ऐसा होगा  जैसा न तो किसी ने सोचा होगा  और न ही कल्पना की होगी। कुछ ने कहा कि विकास का नाम लेते ही सारे पाप धूल जाएंगे। एक दिन विकास सचमुच पैदा हुआ। दूर-दूर से लोग देखने आए लेकिन देखा तो सब अवाक रह गए क्योंकि विकास के माथे पर लिखा था 'विनाश'. लोग देख के डर गए संभाल नही पाए अपने आप को। क्योंकि ऐसा बच्चा उन्होंने सत्तर सालों में नही देखा था। हाँ सत्तर साल पहले  ज़रूर था  अंग्रेज़ का बच्चा करता था सिर्फ अत्याचार। लोग सहम गए क्योंकि जिसे वो विकास समझते थे वो तो विनाश निकला। क्योंकि जिसे वो विकास समझते थे वो तो विनाश निकला। क्योंकि जिसे वो विकास समझते थे वो तो विनाश निकला। #विकास_या_विनाश #authorniti...

।। तुम हार मत मानना ।।

।। तुम हार मत मानना ।। उम्मीदें कम हो जाएं सवाल बढ़ जाएं कोई बात नहीं तुम हार मत मानना अंधेरा कितना भी घना हो सीधा न चल पाओ कोई बात नहीं तुम हार मत मानना चलते जाना हो जाये मुश्किल लड़खड़ाने लग जाएं कदम कोई बात नहीं तुम हार मत मानना कुछ नई बातें भी होंगी कुछ सीखने को भी मिलेगा बस डंटे रहना  तुम हार मत मानना यूँ ही तो होती है ज़िन्दगी कभी मीठे तो कभी कड़वे अनुभव देती है कड़वे अनुभव आएं कोई बात नहीं तुम हार मत मानना सफर कितना भी बड़ा हो कितनी भी मुश्किलें आएं कोई बात नहीं तुम हार मत मानना #तुम_हार_मत_मानना #authornitin #poem #poetry 

।। न बस न ट्रेन ।।

।। न बस न ट्रेन ।। एक बार, वो चल पड़ा था। गांव से दूर, शहर की तरफ़, अपनी मंज़िल की तलाश में। चला आया शहर  तलाशने अपने अस्तित्व को। चला आया शहर, गांव को लपेटे, अपने गमछे के अंदर। चला आया शहर, गांव को अपनी भाषा में समेटे। सोचा था स्वीकारेगा शहर इस गांव के बाशिंदे को। सोचा था देगा शहर पेट भरने को रोटी। सोचा था संवरेगा बच्चों का भविष्य। आंखों में छलकती थीं आशा की किरणें। बेहद खुश था जब पहुंचा शहर को। खुश हुआ जब मिला रोज़गार। लगा उसे कि अब संवर जाएगा उसका घर संसार। आया वो दिन, जिस दिन मिलनी थी उसे पहली पगार। धीरे-धीरे सीख गया भाषा शहर की। गांव जाता तो बताता शहर के ठाट-बाट। दिखाता रुआब जैसे राजा हो  शहर का। हाँ लगती थी कम उसको अपनी पगार। फिर भी खुश था कि चल जाता था उसका भी घर संसार। लेकिन एक बार उसे चलना पड़ा। पीछे वापस अपने गांव की तरफ। क्योंकि विपदा थी भारी। शहर अब  नहीं दे पा रहा था। न रोटी  न मकान। इस बार चलना पड़ा उसे वापस अपने पैरों के सहा...

।। इतिहास ।।

।। इतिहास ।। इतिहास को इतिहास में गाड़ दो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। और वर्तमान को वर्तमान से संवार लो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। ये जो हमेशा पीछे मुड़ कर देखते रहते हो, आज कोई ज़िंदा नहीं उनमें से,  कोई जो आकर संवार जाए तुम्हारा भविष्य। वो चले गए अब नहीं है न ही वापस आएंगे कभी। किया होगा कभी तुम्हारा नुकसान या तुम्हारा फ़ायदा लेकिन अब नहीं आएंगे कभी। फिर क्यों करते हो ख़राब अपना भविष्य और वर्तमान चंद इतिहास के पन्नों के लिए। मानता हूं इतिहास जानना भी  ज़रूरी होता है। लेकिन ज़रूरी होता है इसलिए कि इतिहास से सबक लिया जाए। ज़रूरी होता है इसलिए कि कुछ सीखा जाए। इसलिये नहीं कि नफ़रतें फैलाई जाए इसलिए नहीं कि लोगों को भड़काया जाए। क्योंकि,  वो लोग इतिहास हो गए जिन्होंने किया था कभी तुम्हारी ख़िलाफ़त। इसलिये इतिहास को इतिहास हो जाने दो। इसलिये इतिहास को इतिहास में गाड़ दो नहीं तो खुद इतिहास हो जाओगे एक दिन। और वर्तमान को वर्तमान से संवार लो...