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।। कोई आया ही नहीं ।।

।। कोई आया ही नहीं ।। वक़्त आज मिला बेहिसाब कोई आया ही नहीं मैं अकेला ही रहा आज कोई आया ही नहीं जिन्हें आना था वो तो कहीं दंगों में फंस गए कोई आया ही नहीं मत पूंछो दर्द की इंतेहा आज कोई आया ही नहीं और रोने से भी क्या होगा हांसिल कोई आया ही नहीं एक कहानी फिर हुई नाक़ाम आज कोई आया ही नहीं हो न पाई उनसे मुलाकात कोई आया ही नहीं क्यों होते हैं सियासतदां गुनाहगार कोई आया ही नहीं न करो मुझसे कोई बात कोई आया ही नहीं हंसा था मैं कल की है बात पर आज कोई आया ही नहीं वो रेशमी से थे जस्बात पर आज कोई आया ही नही इन दंगों ने खा लिए कुछ लोग इसलिये कोई आया ही नही मिलना था बहुत लोगों से आज पर कोई आया ही नहीं तुम कैसे समझोगे मेरे दर्द को कोई आया ही नहीं एक और शाम रह गई तन्हा कोई आया ही नहीं सियासत ने उजाड़ दिए कई मकान और बचाने कोई आया ही नहीं कई गलियां गुलज़ार थी पहले, आज कैसे कोई आया ही नहीं राम ने रहीम को कल ही देखा था, पर आज देखने कोई आया ही नहीं कहने को तो इतनी सी ही है बात कि कोई आया ही नहीं पर दर्द समाया ह...

।। मुझे तेरे शहर से क्या लेना ।।

।। मुझे तेरे शहर से क्या लेना ।। मैं तो रहता हूँ दूर तेरे शहर से मुझे तेरे शहर से क्या लेना आग लगे तो लगा करे मुझे तेरे शहर से क्या लेना मैं यहाँ महफूज़ हूँ मुझे तेरे शहर से क्या लेना तेरे शहर में अभी रात है तो हुआ करे मुझे तेरे शहर से क्या लेना तेरे शहर की गलियों में दहशत है तो हुआ करे मुझे तेरे शहर से क्या लेना कभी मिल लेना उससे भी जो फिक्रमंद था तेरी खातिर मैं तो तमाशबीन हूँ मुझे तेरे शहर से क्या लेना #authornitin #poem #poetry #मुझे_तेरे_शहर_से_क्या_लेना

।। इन नफ़रतों के बीच ।।

।। इन नफ़रतों के बीच ।। क्या मिला है इन नफ़रतों से अब तक, जो और किये जाते हो, रोशनी दफ़्न हुई जाती है इन नफ़रतों के बीच। कि डर-2 के जी रहा है हर शख़्स इस जगह, दम तोड़ती है दोस्ती इन नफ़रतों के बीच। जलाए थे कुछ दिए ऐतबार के, सब बुझ रहे हैं आहिस्ता इन नफ़रतों के बीच। वो बच्चा कल जो खिलखिला के हंसता था, खो गई है उसकी हंसी इन नफ़रतों के बीच। रोज़ आता था वो प्यार के पैग़ाम लिए हुए, आज आया तो वो रो दिया इन नफ़रतों के बीच। लाज़मी है कि ये नफ़रतें अभी और बढ़ेंगी, कि किसी को याद है सियासत इन नफ़रतों के बीच। हम यूँ न बिछड़ते, अभी-2 तो मिले थे, याद आया तेरा फ़ैसला इन नफ़रतों के बीच। ये नफ़रतें न होती तो हम साथ होते अभी तक, ले डूबा हमें तेरा फ़ैसला इन नफ़रतों के बीच। मिल चुका हूँ बहुत सारे खुदाओं से अब तक, देख ली सब की खुदाई इन नफ़रतों के बीच। इल्ज़ाम किसी पर भी हुआ करें नफ़रतें फैलाने के, मिटी तो इंसानियत ही है इन नफ़रतों के बीच। कोइ मुसलमां कोई ईसाई तो कोई हिन्दू हुए जाते हैं, बिखरीं हैं तो सिर्फ गोलियां इन नफ़रतों के बीच। दरो-दीवार सने है लाल रंग से, होली भी...

।। कुछ कविताएं लिखी जाएं ।।

।। कुछ कविताएं लिखी जाएं ।। और कुछ कवितायें लिखी जाएं कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं। आओ इसी बहाने कुछ गम भुलाए जाए और आओ कुछ और नग़मे गाये जाएं। बहुत हो गए अब गिले और शिकवे कुछ प्यार की कलियां अब खिलाई जाएं। कि दफ़्न हो जाना है कफ़न ओढ़ के एक दिन चलो अभी तो ज़िन्दगी के तराने गाये जायें। और कुछ कवितायें लिखी जाएं कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं। पता नहीं अब हम मिलें न मिलें कुछ और पल आओ सँवारे जाएं। थकान बहुत हो गई चलते चलते आओ कुछ देर बैठें और गीत गुनगुनाये जाएं। सुना तुम कुछ मशहूर हो गए हो आजकल इसी बात का चलो जश्न मनाए जाएं। और कुछ कवितायें लिखी जाएं कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं। राह बड़ी कठिन हो चली थी तुम्हारे बिना तुम आज मिले तो आओ अपने सुर भी मिलाये जाएं। राह जैसी भी थी अकेले न कट पाएगी हमसे आओ एक दूसरे से दोस्ती निभाये जाएं। मंज़र कुछ वीरान सा था दोस्तों तुम्हें साथ लेके चलो ये वीराने मिटाए जाएं। और कुछ कवितायें लिखी जाएं कुछ और गीत गुनगुनाये जाएं। क्या तुम्हें पता नहीं था कि कितना उदास था तुम्हारे बिन चलो साथ मिल के ये उदासी अब...

।। खास ।।

।। खास ।। किसी को बड़ा कर खास क्या बनाया वो हमें आज आम समझने लगे और खास तो वो अब भी हैं हमारे लिए पर वो हमें एक सवालात समझने लगे गुरूर इतना बढ़ा उनका कि वो तानाशाह हो गए चश्मा लाल ही गया उनका, और खुद को वो जल्लाद समझने लगे खैरात बांटते थे पहले कभी इसका भी घमंड था उनको पर आज तन्हा ऐसे पड़े कि जस्बात बांटने लगे रुसवा तो हमनें कभी किया नहीं उनको पर वो हमें रुसवाई के हालात बांटने लगे वो इतने खास हो चुके हैं अब के नज़र आते नही हम उनको अब सामने से ऐसे गुज़रे कि हमे पहचानते हीं नहीं वो तो हमीं हैं कि उन्हें मानने लगे जस्बात हमारे लिए मर गए थे उनके अंदर वो तो हमीं थे जो आईना लेकर बैठे थे वो शान से हमें निहारने लगे निहारने के ढंग में एक शरारत थी उनकी निगाहों से ही हमें धिक्कारने लगे नज़रों में उनके कोई औकात नहीं थी हमारी उन्होंने देखा, मुस्कुराए और पुचकारने लगे जो खास होते हैं वो ऐसे ही होते हैं सब बिकता है उनकी नज़रों में कल खरीददार लेकर आये हमारे घर मुस्कुराते हुए हमारा घर ही बिकवाने लगे #authornitin #poem #poetry #author_nitin_blo...

।। मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की ।।

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।। मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की ।। मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की कुछ हालात बदलने की कोशिश की और कुछ मुलाकात की अज़ानों में भजन घुल गए उस दिन और भजनों ने अज़ानों से मुलाक़ात की क्या मंज़र था तुम्हे क्या पता ऐ दोस्त कि रांझा मजनू हो गया और हीर ने लैला से मुलाक़ात की कृष्ण की बंसी ने जादू जो छेड़ा कि क़व्वाली ने भजनों से मुलाक़ात की मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की कुछ हालात बदलने की कोशिश की और कुछ मुलाकात की  होली में रंग लगाया अब्दुल नें और गीता ने सुरैया से मुलाकात की भगवा और हरा घुल गया आसमानों में और टोपी ने पगड़ी से मुलाक़ात की कुछ मिले यूँ सातों रंग कि नज़ारा नूरानी हो गया और चांदनी ने चकोरों से मुलाक़ात की मंदिरों ने मस्ज़िदों से बात की कुछ हालात बदलने की कोशिश की और कुछ मुलाकात की उन्हीं बातों से तो पता चली कैफ़ियत अपनों की और शायरी ने कविता से मुलाक़ात की जस्बात खुल के आये सामने तब और आंसुओं ने निगाहों से मुलाकात की घुल गए जस्बात सारे आंसुओं में तब जब मेरे धर्म ने तेरे मज़हब से मुलाक़ात की मंदिरों ने मस्ज़िदों से बा...

।। चुनाव का नतीजा ।।

।। चुनाव का नतीजा ।। चुनाव का नतीजा आने दो और फिर कभी इसको तो कभी उसको खुशी मनाने दो। वैसे उनका कुछ नही जाता वो तो बेशर्म हैं, कभी चुनाव के पहले रो देते हैं हार गए तो बाद में रो देंगे। कुल मिला कर आपकी सहानुभूति ले लेंगे हारना भी एक कला है, खासकर राजनीति में, हारे तो तोहमत जनता पर मढ़ देंगे। सारे हतकंडे अपनाते हैं जीत की खातिर, कहते हैं हम बेकसूर हैं, पूछो की वो कौन था जो पैसे बांट रहा था, आपको नहीं मिले क्या, मुस्कुराते हुए आपसे ही पूंछ लेंगे। पूछेंगे आपसे क्यों परेशान रहते हैं इतना? अरे सारे ज़माने के ठेका ले रखा है क्या आपने? अरे आराम से रहिये और हमें भी रहने दीजिए, क्यों हमेशा परेशान फिरते हैं, अरे ये दुनिया है ऐसे ही चला करती है, आप के बदलने से थोड़ी बदल जाएगी। और खुद हमें ही सुनना पड़ता है कुछ इस तरह, और वो ऐसे ही आपको ही सुना कर निकल लेंगे। एक दिन नेताजी मिले बाज़ार में, हमको देख के मन्द-2 मुस्कुराए, जैसे कह रहे हों देखो इस परेशान आत्मा को फिर हंस के बोले, और भाईसाहब क्या हाल हैं आपके, बड़े उदास दिख रहे हैं। दुनिय...