।। धुआँ-धुआँ ।।
।। धुआं-धुआं ।।
धुआं, राख, सब दिखता है
लेकिन कुछ जो मेरे अंदर जल रहा है
कुछ जो मेरे अंदर ख़त्म हो रहा है
वो नहीं दिखता
नहीं दिखता
किसी को नहीं दिखता
धुआं, राख, सब दिखता है
लेकिन वो नहीं दिखता
जो दबा है
इस राख़ के नीचे
जो छिपा है इस धुएँ के पीछे
नहीं दिखती मेरी बेबसी
नहीं दिखती मेरी तन्हाई
नहीं दिखती
किसी को नहीं दिखती
धुआं, राख, सब दिखता है
लेकिन दबे हुए कोयले की तपन
भूले हुए एहसासों की तपिश
देख करके भी अनदेखी रह जाती है
वो तपिश
नहीं दिखती
किसी को नहीं दिखती
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