।। देश अभी बिका नहीं ।।
।। देश अभी बिका नहीं ।।
बेच कर अपनी शराफत
वो कहते हैं देश अभी बिका नहीं
बिका है तो बस ज़मीर
पर देश अभी बिका नहीं
सैलाब आंसुओं के बस आयें है अभी-2
राज़ ये है कि आंसू हुक़ूमत ने दिए हैं
बिकी हैं तो बस मुस्कुराहटें
हाँ देश अभी बिका नहीं
बिका है तो बस सुकून अब
पर देश अभी बिका नहीं
कहर बदस्तूर जारी है हुक्मरानों का
दस्तूर-ए-राजधानी बदला नहीं करता
बस कुर्सी पर कोई और आया है
पर देश अभी बिका नहीं
बस कुर्सी पर कोई और आया है
पर देश अभी बिका नहीं
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