।। बाक़ी है अभी ।।
।। बाक़ी है अभी ।।
आज की रात बाकी है अभी
पूरे जस्बात बाकी हैं अभी
मंज़र ठहरा है थोड़ा सा खयालों में तेरे
लेकिन पूरे ख़यालात बाक़ी हैं अभी
रुख़ से पर्दा हटे तो तूफ़ान आ जाये
पूरा का पूरा शबाब बाकी है अभी
ख़ैरियत पूछने मत जाइए उनसे
दुख का सैलाब बाक़ी है अभी
और वो रो ही देते तेरे आने से पहले
पर वो ज़रूरी मुलाक़ात बाक़ी है अभी
वो ज़र्रा ही समझ के बैठे थे हमें
पर ज़र्रे का ख़ुदा हो जाना बाकी है अभी
वक़्त तुमपे यूँ ही मेहरबान था शायद
थोड़ा वक्त का ज़ालिम हो जाना बाक़ी है अभी
रुख का तबस्सुम बड़ा घायल करता है हमें
पर तेरा मुस्कुराना बाक़ी है अभी
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