।। शोर की तलाश ।।
।। शोर की तलाश ।। तन्हाइयां दर-बदर नहीं भटकातीं भटकते हैं लोग शोर की तलाश में बीत जाती है ज़िन्दगी शोर के बीच पर फिर भी भटकते हैं लोग शोर की तलाश में रहते-रहते शोर तन्हा कर जाता है पर फिर भी भटकते हैं लोग शोर की तलाश में तन्हा भी हुए कभी तो क्या हुआ तलाश शोर की ही रहती है और यूँ ही भटकते हैं लोग शोर की तलाश में सोचते है शोर भुला देता है अंदर की तन्हाई को तलाशते तलाशते खुद को भटकते हैं लोग शोर की तलाश में ये शोर जीने नहीं देता ज़िन्दगी भर उनको पर फिर भी भटकते हैं लोग शोर की तलाश में ज़िन्दगी भर शोर बढ़ाया ज़िन्दगी में के भूल जाएंगे अपने गम इस शोर के बीच और यूँ ही भटकते हैं लोग शोर की तलाश में मिलता कुछ भी नहीं भटकाव के सिवा पर फिर भी भटकते हैं लोग शोर की तलाश में ज़रूरत थी तन्हाई की ज़रूरत थी शान्ति की पर फिर भी भटकते हैं लोग शोर की तलाश में #शोर_की_तलाश #authornitin #poem #poetry