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।। कफ़न से सूट तक़ ।।

।। कफ़न से सूट तक़ ।। पहले लोग मरे उसके कारण, उसकी नीतियों के कारण। फिर लाशें दफनाई गईं। फिर लाशों से कफ़न छीने गए उसका सूट बनाने की खातिर। सोचता हूँ, कैसा दिखेगा वो जब पहन कर आएगा कफ़न के कपड़ों से बना सूट। और, उसी सूट को पहन वो मांगेगा वोट। वो पहनता है दुनिया का सबसे महंगा सूट। आख़िर कफ़न के कपड़ों से बने सूट से महंगा क्या हो सकता है? #authornitin #poem #poetry 

।। रोते रहना ।।

  ।। रोते रहना ।। रोने की ये कोशिश तुम करते रहना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना घड़ियाली आंसू पहचान है तुम्हारी कुछ भी हो जाए अपनी पहचान मत खोने देना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना रोते-रोते  अपनी इमेज रगड़-रगड़ धोते रहना वैसे तुम्हारे घड़ियाली आँसू मशहूर हैं दुनिया में तुम उन्हीं के सहारे सबकी दया हासिल करते रहना सबको पॉजिटिव रहने का बोल खुद रोते रहना #authornitin #poem #poetry 

।। फ़क़ीरी ।।

  ।। फ़क़ीरी ।। फ़क़ीर की फ़क़ीरी देख फ़क़ीरी शर्मा गई। दस लाख का  सूट देख अमीरी शर्मा गई। पैंतीस हज़ार का मशरूम खाता देख कुबेर  शर्मा गए। फ़क़ीर की टैक्स वसूली देख अंग्रेज़ भी शर्मा गए। लाशों को नदियों में बहता देख शैतान भी शर्मा गया। खैर…..! फ़क़ीर ने झोला उठाया और चला गया। कहानी ख़त्म। #authornitin #फ़क़ीरी #poem #poetry 

।। तख़्त पर बैठा मुर्गा ।।

  ।। तख़्त पर बैठा मुर्गा ।। तख़्त पर बैठा मुर्गा अपने-आप को सूरज समझ बैठा है। वो समझता है कि सुबह उसके बांग देने से होती है। और इसीलिए  अब वो दिन भर बांग देता है। बोलता ही रहता है कभी यहाँ तो कभी वहाँ। ढूंढता रहता कि कहीं चुनाव हो रहा हो और वो वहाँ जाए और बोले, और मांगे अपने लिए वोट लोगों को बताकर कि  सुबह उसके कारण ही होती है। इसीलिए वो बोलता है, बेहिसाब, बताता है कि वो हारा तो वो बांग नही देगा। और रोक देगा सूरज को उगने से। और रोक देगा सूरज को उगने से। #authornitin #poem #poetry 

।। वो क़ातिल है ।।

  ।। वो क़ातिल हैं ।। जज़्बात के खुलासे अभी-अभी हुए हैं अभी-अभी पता चला है कि वो क़ातिल हैं थोड़ा वक़्त और गुज़रने दो  तुम देखोगे कि वो पेशेवर भी हैं अभी-अभी जाना है कि उनका पेशा क्या है और अभी-अभी वो लाशों का सैलाब आया है गद्दी तक़ पहुंचने का रास्ता कैसा भी हो उन्हें सिर्फ़ गद्दी से मतलब है अभी तो गद्दी पर थोड़ा वक़्त गुज़रा है  अभी-अभी तो खून चखा है  अभी-अभी तो अंधेरा घना हुआ है अभी-अभी तो स्वाद आया है और तुम चाहते हो जीना, अभी-भी? रहने दो!  अभी-अभी तो उन्हें प्यास लगी है अभी-अभी तो जीना शुरू किया है उन्होंने और अभी-अभी तो खून से सनी है चोंच उनकी अभी-अभी तो नोचा है मांस का टुकड़ा उन्होंने और अभी-अभी तो दावत-ए-ख़ास आया है अभी-अभी तो नोचा है मांस का टुकड़ा उन्होंने और अभी-अभी तो दावत-ए-ख़ास आया है #authornitin #poem #poetry 

।। मौत का उद्घोष ।।

  ।। मौत का उद्घोष ।। वो आते हैं कुछ बोलते हैं चले जाते हैं। और जब तक़ बोलते हैं भक्तों के कान में  सारंगी बजती है। ये भक्त बड़े अजीब हैं इन्हें गिद्ध की चोंच में लटका मांस  का टुकड़ा नज़र नहीं आता। इन्हें गिद्ध का संगीत सुनाई नहीं देता। इनकी आंखों को तो  नज़र आता है बस अपने स्वामी का  चमकता चेहरा। चाहे उस चेहरे के पीछे कितनी भी कालिख़ हो चाहे कितने ही खून के धब्बे हों। भक्त को तो सुनाई देती है  सिर्फ सारंगी। चाहे वो मौत का उद्घोष ही क्यों न हो। इसी सारंगी को सुनाने भक्तों को मनाने वो आते हैं बार-बार। वो आते हैं कुछ बोलते हैं चले जाते हैं। और जब तक़ बोलते हैं भक्तों के कान में  सारंगी बजती है। #authornitin #poem #poetry #kavita #shayari #मौत_का_उद्घोष 

।। हुक़ूमत किसकी है ।।

  ।। हुकूमत किसकी है ।। शमशान, कब्रिस्तान, कफ़न, लाशें सब पूछते हैं कि हुकूमत किसकी है अस्पतालों में हुजूम और मेलों की भीड़  सब पूछते हैं कि हुकूमत किसकी है मकान में क़ैद ये इंसान और बाहर से बंद ये दुकान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है राहों में कुछ दरबारी वोट मांग रहें हैं झूठ पर झूठ बोल वो सीना तान रहे हैं सच का ये मरघट और झूठ की ये दुकान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है  मीलों पैदल चलता मज़दूर और धरने पर बैठा किसान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है  बस कुछ शब्द बोले थे उन्होंने और सब बन्द हो गया सिर्फ उनकी चली हुक़ूमत और सब बन्द हो गया काफ़ी लोग भूखे रह गए, भूख से परेशान ये इंसान सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है भ्रष्टाचारी नेता और बिके हुए पत्रकार को छोड़ कर सब पूछते हैं कि हुक़ूमत किसकी है #authornitin #poem #poetry #hindipoem #hindi #hindishayari #kavita #shayari #कविता #शायरी