।। मसरूफियत ।।

 ।। मसरूफियत ।।


तेरी मसरूफियत है ऐसी

के बस तन्हाइयां हैं

हम नहीं हैं।


ये बादल है अकेला

पर इसको इसका

ग़म नहीं है।


ये जादू है सफ़र का

के चलना है पर

दम नहीं है।


उस शाम आँखों में झाँका

तेरी रुसवाइयों का

ग़म नहीं है।


वो इश्क़ में भी है अकेला

पर उसको इसका भी

ग़म नहीं है।


दिलों में तन्हाइयां हैं बेशक

पर राहों पर भीड़ कुछ

कम नहीं है।


कई किस्से हैं कई कहानियां

पर इन किस्सों में शायद

हम नहीं हैं।


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