।। मसला ।।
।। मसला ।।
कहीं नोट बन्द हुई
तो कहीं दिल को क़रार आया
कहीं मसला पैदा हुआ
तो कहीं मलाल आया
आये तो थे वो
तरक़्क़ी लाने की ख़ातिर
पर कहीं भूख आई
और कही भूचाल आया
ज़माने भर के लोग साथ थे उनके
आंखें बन्द कर राज़दार थे उनके
पर आई बेबसी हाथ उनके भी
कहीं भुखमरी तो कहीं अकाल आया
राह देख रहीं जो आंखें, खुशहाली की
उनके हिस्से भी बस सवाल आया
कहीं सब बन्द है
तो कहीं सब खुला-खुला
बस कहीं पेट की भूख है
तो कहीं चुनाव आया
मसला तो बस चुनाव ही है साहब
भूखा, बीमार, बेरोज़गार तो हर साल आया
देख लेंगे कभी न कभी इनको भी
आख़िर चुनाव तो इतने साल बाद आया
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