।। इश्क़ ।।
।। इश्क़ ।।
कभी इश्क़ की फ़ितरत को समझना दोस्तों
ये हो गया तो फ़िर हो गया
इसकी तपिश जिसने भी महसूस की
वो खो गया तो फिर खो गया
इसे इंसान और ख़ुदा का फ़र्क़ भी नहीं मालूम
जिससे हुआ उसको ख़ुदा कर गया
ज़माना फ़िर पागल पुकारे तो क्या हुआ
ये हो गया तो फ़िर हो गया
राह से गुज़रते कभी ऐसे पागल को देख है
मदमस्त मलंग वो हो गया तो फिर हो गया
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