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Showing posts from August, 2020

।। बहुत ।।

  ।। बहुत ।। ज़िन्दगी की गहमा-गहमी में राज़ बहुत हैं जीतने चले थे हम भी दुनिया पर यहां उस्ताद बहुत हैं कहने को तो समंदर फ़तह करने को निकले थे हम पर लहरों पे क़ाबिज़ यहाँ पर बाज़ बहुत हैं और वो सुनते ही नहीं हमारी सोचते हैं उड़ान भर दी है उन्होंने जानते नहीं कि इस दुनिया में बैठे अभी हैवान बहुत हैं रोज़ वो निकलता था टीका माथे पर लगाये निकलता था कुछ अरमान  दिल में जगाए क्या पता था उसको कि राह में उसके अभी तूफ़ान बहुत हैं ख़ैरियत पूछने गया था अपने प्यारे दोस्त की देखा तो दुश्मन भी वहीं बैठे मिले उसको क्या पता था उसको कि उसकी आस्तीनों में साँप बहुत हैं रहमदिल समझता था उनको मगर पहली गोली उन्होंने ही चलाई सोचता था जियेगा मस्त हो कर पर साथियों में गद्दार बहुत हैं #authornitin #poem #poetry #बहुत 

।। काफ़िर ।।

  ।। काफ़िर ।। अंधो के शहर में वो आईना बेचने निकला वो काफ़िर था  ख़ुदा को ढूंढने निकला ज़माना कुछ भी बोले उसने बेच दी अंधों को आंखें अंधेरे के शहर में वो रोशनी बेचने निकला ज़रूरत थी रोशनी की मगर ख़रीदार वहाँ कोई न मिला गुफाओं के शहर में वो हवा को बेचने निकला मुश्किलें साथ रहती हैं, अक्सर वो किसी भी राह से गुज़रे काटों के शहर में वो गुलदस्ते बेचने निकला अंधो के शहर में वो आईना बेचने निकला वो काफ़िर था  ख़ुदा को ढूंढने निकला शहर वो कुछ सुना-२ सा था नाम उसका पहले भी सुना था उसने गुलामों के शहर में वो आज़ादी बेचने निकला थक हार के बैठा समझा, के मुश्किल है आज़ादी बेच देना यूँ आसाँ रहता है अक्सर  गुलामों सा ही बन जाना बेड़ियों के शहर में वो आज़ादी बेचने निकला समझे बैठे थे जेवर  जिन बेड़ियों को लोग उन बेड़ियों में वो मोहब्बत बेचने निकला अंधो के शहर में वो आईना बेचने निकला वो काफ़िर था  ख़ुदा को ढूंढने निकला #authornitin #काफ़िर #poem #poetry 

।। एक रात ।।

  ।। एक रात ।। एक रात, रात से  कुछ बात की मैंने। यूँ ही तन्हा बैठे-२ रात से कुछ बात की मैंने। वो बोली कुछ बोलूँ, क्या कुछ राज़ खोलूँ। बहुत राज़ दफ़्न है मेरे सीने में नितिन। बोलो तो कुछ राज़ तुमपे बस यूं ही खोलूँ नितिन। मैं बोला, होंगे तुम्हे मालूम बहुत राज़ तो क्या है मुझे तो काम बस उस ख़ुदा से है अगर जानती हो कुछ उसके बारे में तो बताओ, वरना बेफ़िज़ूल है ये गुफ़्तगू, ये गुफ़्तगू क्या है। वो फिर बोली, मुझसे ज़्यादा शायद ही किसी ने जाना हो उसके  बारे में, लेकिन सिर्फ गुफ़्तगू से बात बनती नहीं अक़्सर। मिलता उसी को है जो डूब जाए इस अंधेरे में जो हो जाये तन्हा एक रात की तरह। तुझे अगर वाक़ई है आरज़ू उसकी, तो चल समझ मेरी तन्हाई को नितिन। खो जाने दे अपने नाम की परछाईं तक को भूल जा के तू एक शक़्स है,  जिसका नाम है नितिन। रात का अंधेरा ही  प्रकाश लाता है अक़्सर। क्योंकि मिट जाती अपनी परछाइयाँ तक अक़्सर। ये तेरा नाम भी परछाईं है भूल जा के तू एक शक़्स है जिसका नाम है नितिन। #एक_रात #authornitin #poem #poetry 

।। वो भी जान जाएंगे ।।

  ।। वो भी जान जाएंगे ।। जो नहीं जानते मुझे वो भी जान जाएंगे मुमकिन है कि फ़ितरत मेरी वो पहचान जाएंगे वो समझेंगे के यूँ आसाँ नहीं होता डूब के उतराना मुमकिन है वो मुश्किलें मेरी जान जाएंगे कश्ती मेरी लड़ी है हमेशा सख़्त तूफानों से मुमकिन है कि तूफ़ां भी ये जान जाएंगे और वो सोचते हैं बिछा देंगे कांटे मेरी राहों में मगर ये पैर कांटो को कुचलते हैं, ये वो भी जान जाएंगे मुश्किलें जितनी बढ़ी हैं मेरे जीवन में हौसला उतना ही बढ़ा है, ये भी वो जान जाएंगे पर वो समझें न समझें, क्या फ़र्क़ पड़ता है उन्हें ठेंगे पे रखा है, ये वो भी जान जाएंगे #authornitin #poem #poetry 

।। इश्क़ ।।

।। इश्क़ ।। कभी इश्क़ की फ़ितरत को समझना दोस्तों ये हो गया तो फ़िर हो गया इसकी तपिश जिसने भी महसूस की वो खो गया तो फिर खो गया इसे इंसान और ख़ुदा का फ़र्क़ भी नहीं मालूम जिससे हुआ उसको ख़ुदा कर गया ज़माना फ़िर पागल पुकारे तो क्या हुआ ये हो गया तो फ़िर हो गया राह से गुज़रते कभी ऐसे पागल को देख है मदमस्त मलंग वो हो गया तो फिर हो गया #authornitin #poem #poetry #इश्क़