।। रुतबा ।।

।। रुतबा ।।



बेहतरीन तो रुतबा हुआ करता है तेरा
तुझे खुद भी नही पता कि क्या जलवा हुआ करता है तेरा

यहाँ सभी यही कहते हैं
कि दुनिया तूने ही बनाई है

यहाँ सभी यही कहते हैं
कि तू ही तो चलाता है ये दुनिया

रखता है तू ही बादशाहत सारी
बिखेरता है तू ही ये रोशनी सारी

पर क्या तुझे फ़िकर है अपने रुतबे की
पर क्या तू करता है कद्र अपने रुतबे की

छोड़ रखा है अपना सारा मालिकाना हक़ तूने
छोड़ रखी है अनाथों सी अपनी मिल्कियत तूने

तभी तो ये दुनिया ऐसी है
तभी तो ये दुनिया अनाथ जैसी है

तभी तो बिलखते हैं कुछ बच्चे मां के साये के लिए
और कुछ सड़कों पर पड़े निवाले के लिए

तभी तो कुछ बच्चे अभी भी भूखे हैं
तभी तो कुछ लोग अभी भी शोषित हैं

और तभी सत्ता में बैठें है भेड़िये कुछ
और तभी शोषण अभी जारी है

और फिर भी 
बेहतरीन तो रुतबा हुआ करता है तेरा
तुझे खुद भी नही पता कि क्या जलवा हुआ करता है तेरा

और फिर भी
लोगों को अभी भी भ्रम है
कि दुनिया तूने ही बनाई है

और फिर भी
लोगों को अभी भी भ्रम है
कि तू ही चलाता है ये दुनिया

और फिर भी
लोगों को अभी भी भ्रम है
कि रखता है तू बादशाहत सारी

और फिर भी
लोगों को अभी भी भ्रम है
कि बिखेरता है तू ही ये रोशनी सारी

और इसीलिए तुझे भी अब समझना पड़ेगा
तुझे दिखानी होगी अपनी मिल्कियत इस दुनिया पर

और इसीलिए तुझे अब संभलना होगा
तुझे करना होगा न्याय कि समझ सकें लोग

कि सचमुच
बेहतरीन रुतबा है तेरा 
और तुझे भी पता चले कि क्या जलवा है तेरा


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