।। वजह ।।
।। वजह ।। छोड़ रखा है मर जाने के लिए मुझे तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही ज़ख़्म पर ज़ख़्म उड़ेले हैं मुझपर इस तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही वो ज़ख़्म मैं भूल ही न सका अब तक़ जो दिए हैं मुझे इस तेरे शहर ने जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही रोता रहता था अक़्सर अकेले-अकेले तन्हा ही रहा हूँ इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही क्या पता था कि मैं भी हार जाऊँगा एक दिन जीतता ही आया था अब तक इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही यूँ कुछ तकलीफ़ें कम भी हो जाती पर तुमने भी तन्हा ही रखा इस तेरे शहर में जब मर गया तो पूछता है कि वजह क्या रही #वजह #authornitin #poem #poetry #rip_shushant