एकता
भगत सिंह इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि देश जब आज़ादी की तरफ आगे बढ़ रहा होगा और आज़ादी की कगार पर होगा तो सबसे बड़ी चुनौती होगी देश में सामाजिक सौहार्द को बनाये रखना। उन्हें अपने कॉलेज के दिनों में नुक्कड़ नाटकों के आयोजन का बहुत शौक़ था और वो नुक्कड़ नाटक आयोजित भी करते रहते थे जिनके केंद्र में विभिन्न सामाजिक समस्यायें हुआ करती थीं। आज़ादी की बात को भी वो इस माध्यम से कोने--कोने में पहुंचाने की कोशिश करते थे। लेकिन दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उनके नुक्कड नाटकों में होता था वो था हिन्दू मुस्लिम एकता का। क्योंकि वो जानते थे कि अंग्रेज़ 1857 की क्रांति के बाद किसी भी स्तिथि में हिन्दू मुस्लिम एकता को बने रहने देना नहीं चाहते थे और अंग्रेजों ने फूट के बीज बोने शुरू कर दिए थे और इसका असर दिखने भी लगा था। यही कारण था कि नुक्कड़ नाटकों द्वारा उन्होंने ये कोशिश जारी रखी कि ये एकता कायम रहे। अफसोस कि लोग इस बात को नही समझ पाए।
दूसरा नाम जिसने हिन्दू मुस्लिम दोनो समुदायों को एक रखने की कोशिश की वो थे शिर्डी के साई बाबा। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस एकता को कायम रखने की कोशिश में बिताया। असली सन्त की पहचान भी यही होती है कि वो किसी समुदाय का नहीं अपितु सबका होता है। मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपने जीवन में चमत्कार दिखाए या नहीं लेकिन हिन्दू मुस्लिम एकता की जो मिसाल उन्होंने शिर्डी में कायम की वो अद्वितीय है। राम नवमी और उर्स को उन्होंने एक साथ मनाने की परंपरा बनाई। दोनों समुदाय एक साथ मिलकर मेले में हिस्सा लेने लगे और इसके बावजूद कभी कोई दंगा नही हुआ बल्कि आपसी प्रेम शिर्डी में देखने लायक होता रहा। ये अपने आप में किसी चमत्कार से कम नही। साईं भी दोनों समुदायों के बीच की एकता के महत्व को समझते थे। और वो इस बात को भी समझते थे कि अश्पृश्यता जैसे कलंक को कैसे मिटाना है और ये कितना घातक है। इसलिए उन्होंने ऊंच-नीच की दीवार को गिराने की भी भरपूर कोशिश की और नीचे तबके के लोगों में एक तरह के आत्मविश्वास के बीज बोए।
इसी कड़ी में गांधी का नाम लेना महत्वपूर्ण है। क्योंकि गांधी को मुल्ला कह देना आसान है, उनको गालियाँ दे देना आसान है लेकिन इस बात को समझना कि किस तरह से हर तरह के समाज से जुड़ कर और नीचे तबको से जुड़ कर उन्होंने एक आत्मविश्वास पैदा किया। यही कार्य उन्होंने साउथ अफ्रीका में किया- उन्होंने देखा कि भारतीयों की बस्तियां कितनी गंदी हैं और उन्होंने प्रेरित किया कि अगर वहाँ की सरकार साफ-सफाई में मदद नही करती तो खुद भारतीयों को अपने आप ये बीड़ा उठाना चाहिए, बिना शरमाये। और वहाँ पर रह रहे भारतीयों को एक जुट किया, उनके अंदर आत्मविश्वास जगाया। जब वो हिंदुस्तान आये तो उस वक़्त यहाँ आज़ादी की लड़ाई का वो स्वरूप नहीं था। कोई भी उस इस्तर का नेता नहीं था जो इस लड़ाई को घर-घर पहुंचा दे। गांधी जैसे ही हिंदुस्तान पहुंचे लोग उनसे उम्मीद बांध बैठे क्योंकि वो साउथ अफ्रीका में ये लड़ाई जीत के आये थे। और गांधी इसीलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने इस लड़ाई को जन-जन तक पहुचाया और नीचे तबके के लोगों को भी इस लड़ाई में शामिल किया। वो जानते थे कि ऐसी आज़ादी का कोई महत्व नही होगा जहाँ समाज का हर वर्ग शामिल न हो। इसीलिए उन्होंने हर वर्ग तक अपनी पहुंच बनाई और आज़ादी की लड़ाई को घर-घर तक पहुंचाया। लंदन में और साउथ अफ्रीका में कई बार उनसे कहा गया कि वो क्रिस्चियन बन जाएं लेकिन उन्होंने अपने आप को हिन्दू ही रहने दिया उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की कोई आवश्यकता नहीं दिखाई देती क्योंकि सभी धर्म एक ही तरह की बातें कहते हैं। एक बार हिंदुस्तान में एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप सबके बीच एकता की बात करते हैं लेकिन आपकी रोज़ की सभाएं तो राम-धुन से शुरू होती हैं तो क्या आप सिर्फ हिंदुओं के नेता हैं? उन्होंने कहा राम मेरी श्रद्धा हैं और मेरी सभा में हिन्दू मुस्लिम सब होते हैं और सब राम धुन का आनंद लेते हैं।
ये बातें इसलिए कि हमें ये पता होना चाहिये कि कितने प्रयास किए गए हैं इस देश की एकता को कायम रखने के लेकिन हम अक्सर इन प्रयासों को भूल कर किसी नेता के चक्कर में आकर इस एकता को खंडित करते आये हैं। लेकिन अब ज़रूरत है कि ऐसे किसी भी नेता के बहकावे में न आकर अपने सवालों पर टिके रहिये। एक बार आप किसी एक्टर या एक्ट्रेस के फैन हैं तो चलेगा लेकिन किसी भी नेता के फैन मत बनिये। नेताओं को पसंद करिये उनसे सीखने की कोशिश भी करिये लेकिन फैन मत बनिये। क्योंकि जब आप फैन बन जाते हैं तो आप सवाल करना छोड़ देते हैं। सवाल महत्वपूर्ण हैं। जब आप फैन हो जाते हैं तो कभी-कभी किसी नेता के बहकावे में आकर आपस में लड़ पड़ते हैं, आपसी भाईचारे को तोड़ देते हैं। एकता महत्वपूर्ण है।
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