।। ज़र्रा-ज़र्रा ।।
।। ज़र्रा-ज़र्रा ।। ज़र्रा-२ है पुकारे नाम तेरा ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है बादल आसमां बारिश सब में तू छुपा है ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है रोशनी अंधेरा हर जगह ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है बेहद मगरूर हैं ये लोग सारे संगेमरमर में समेटा है तुझको ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है और बेहद ज़रूरी नहीं कि तू मिल जाये मुझे या किसी और को सहूलियत से तू ये सारा धमाल करता है नाचता है कभी मोर बन कर ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है कमज़ोर से मज़बूत को भी हराता है कभी-२ ऐ ख़ुदा तू क़माल करता है #authornitin #poem #poetry